बैकुण्ठपुर मुख्यालय में प्रशासन से त्रस्त होकर एक प्रतिष्ठित व्यक्ति सरगुजा आयुक्त की शरण में गया। जिसके निवारण के लिए दिनांक 13/06/2024 को तहसीलदार महोदया जी को आदेशित किया गया। परंतु दिनांक 24/06/2024 तक तहसीलदार महोदया जी ने आर.आई. बैकुण्ठपुर को जांच के लिए निर्देश क्यों नहीं दिये ? बताया जाता है कि, इसी प्रकार तहसील के अंदर मृत्यु प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र और लोगों की जमीनों का नामांतरण महीनो से पड़े हुए है। परंतु तहसीलदार द्वारा केवल जमीन की दलालों के द्वारा जो लोग पैसा देते है उन्हीं का काम करती है। क्योंकि शासकीय कर्मचारी से निवेदन ही किया जा सकता है उल-जलूल नहीं बोला जा सकता।
जानकार सूत्र बताते है कि, तहसील जमीनों के दलालों का अड्डा ही बन चुका है। मात्र किसी दूसरे का जमीन किसी और के नाम और किसी तीसरे का जमीन किसी और चैथे के नाम किया जाता है। इस संबंध में टंकराम बर्मा को फोन पर विस्तार से अवगत करा दिया गया है। बताया जाता है कि, बैकुण्ठपुर अब दलालों के इशारे पर चल रहा है। वहीं दलाल और पटवारी का सीधा-सीधा सौदा हो रहा है। देखा जाये तो अब सरकारी कर्मचारी भी अपना डियूटि छोड़ तहसील में ही मिलेंगे। सूत्रो की माने तो, पटवारी द्वारा छोटी झाड के पूरी जंगल का नाम ही खत्म कर दिया है। यहां तक कि, लोगों में चर्चा है कि, बैकुण्ठपुर की तहसीलदार अपने कार्यालय में बैठती ही नहीं है। इस संबंध में रायपुर के एक मंत्री से बातचित हुआ। उन्होनें ने भी बैकुण्ठपुर प्रशासन की आलौचना की। जिसमें कहा गया कि, बैकुण्ठपुर प्रशासन की और लोगो द्वारा शिकायते मिल रही है। जिससे जनता त्रस्त हो चुकी है। जनता मुह खोलने के कागार पर आ चुकी है। इस संबंध को लेकर अपने समाचार के माध्यम से कई बार लिखा जा चुका हैं परंतु आज तक कोई भी परिवर्तन नहीं हुआ।
वहीं संपादक ने बैकुण्ठपुर तहसीलदार महोदया जी से शिकायतों के संबंध में बार-बार निवेदन कर चुुके है कि, आये दिन जनता की शिकायते मिल रही है। कोई भी कार्य सही नहीं हो रहा है। आप कार्यवाही क्यों नहीं करते ? इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि, सरगुजा आयुक्त के आदेश का लगभग 13-14 दिन तक पत्र नदारद रही। जो कि आर.आई. को न मिलना सरगुजा आयुक्त के आदेश का अवहेना के दायरे में आता है। अब तहसीलदार द्वारा लगभग 13-14 दिन तक आर.आई. को जांच की निर्देश न देने को लेकर तहसीलदार संदेह के दायरे में आ रही है। क्या किसी के दबाव में व अन्य कारण है। जो तहसीलदार महोदया जी निर्देश नहीं दे रही है ? एक आई.एस. एवं उच्च अधिकारी का पत्र व एस.डी.एम. को नीचे सम्मान न करना एक संविधान की अनुज्ञा के दायरे में आता है।