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✍ श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन पर रामलला को चढ़ेगा 1,11,000 लड्डुओं का भोग….

प्रभु श्रीराम को विष्णु अवतार माना जाता है।

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अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन की भव्य तैयारियां जारी हैं। भूमि पूजन वाले दिन रामलला को 1,11,000 लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा। ये लड्डू अयोध्या में तैयार किए जा रहे हैं। नीचे देखिए तस्वीरें। लड्डू मणि राम दास छावनी के यहां बनाए जा रहे हैं। इस बीच, दिल्ली से खबर है कि अयोध्या में राममंदिर के शिलान्यास समारोह के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय कोई नई गाइडलाइंस जारी नहीं करेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण के अनुसार धार्मिक स्थलों में पूजा-अर्चना के लिए पहले ही गाइडलाइंस जारी की जा चुकी हैं और अयोध्या में शिलान्यास के दौरान इन्हीं का पालन करना होगा। पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि-पूजन करेंगे और राम मंदिर का शिलान्यास करेंगे।

प्रभु श्रीराम के इस मंदिर की नींव में काशी के शेषनाग विराजेंगे। 5 अगस्त को होने जा रहे भूमिपूजन अनुष्ठान के लिए काशी से सोने के शेषनाग के साथ चांदी का कच्छप, चांदी के 5 बेलपत्र, सोने के वास्तुदेवता, सवा पाव चंदन और पंचरत्न भेजा जाएगा। अयोध्या ले जाने तथा मंदिर आधार में इन वस्तुओं को स्थापित करने से पूर्व बाबा विश्वनाथ को अर्पित किया जाएगा। 

भूमिपूजन कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रहे प्रो. राम नारायण द्विवेदी ने बताया, जिस प्रकार क्षीरसागर में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की शैया के रूप में वह हर समय उनके साथ रहते हैं अब उसी तरह नींव में भी विराजमान होंगे। प्रभु श्रीराम को विष्णु अवतार माना जाता है।

चांदी के पांच बेलपत्र पर राम नाम अंकित है, जिसे बाबा विश्वनाथ को चढ़ाने के बाद प्रसाद स्वरूप मंदिर की आधारशिला में रखा जाएगा। वहीं कच्छप लक्ष्मी जी की सवारी है, इससे वह स्थान हमेशा जागृत रहेगा। शेषनाग पाताल लोक के राजा हैं जिससे मंदिर के निर्माण व अस्तित्व पर संकट नहीं आएगा। स्वर्ण वास्तु देवता एक वास्तु पुरुष हैं, नींव में इनके होने से स्थल के वास्तु दोष खत्म होते हैं व धन-वैभव में कमी नहीं होती।

संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के प्रो. विनय द्विवेदी बताते हैं, हिंदू धर्म में मान्यता में धरती शेषनाग पर टिकी है और शेषनाग कच्छप पर। इससे भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर को दृढ़ आधार मिलेगा। किसी भू-भवन या मंदिर को अनंत काल तक बनाए रखने को शिलान्यास के दौरान विधिवत वास्तु पूजन होता है। इसमें कई वस्तुओं का पूजन करने के बाद उनका नींव में प्रतिष्ठापन करते हैं।

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