Home मध्य प्रदेश ✍ जैन समाज की महिलाएं बना रहीं राखिया……….

✍ जैन समाज की महिलाएं बना रहीं राखिया……….

गायत्री शक्तिपीठ परिवार से जुड़ी महिलाओं ने राखियां बनाना शुरू कर दिया है। इसका बाकायदा अभियान चलाकर ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दिया जा रहा

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भोपाल । कोरोना काल में चाइनीज राखियों से परहेज कर चुकीं शहर की महिलाएं इस साल रक्षाबंधन पर अपने हाथों से बनी राखियां भाईयों की कलाइयों पर बांधेंगी। इसके लिए गायत्री शक्तिपीठ परिवार से जुड़ी महिलाओं ने राखियां बनाना शुरू कर दिया है। इसका बाकायदा अभियान चलाकर ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसका मुख्य मकसद स्वदेशी को बढ़ावा देना है।

उधर, गायत्री शक्तिपीठ को देख अन्य समाज की महिलाएं भी इस काम में आगे हैं। जैन समाज की महिलाओं ने भी स्वदेशी अपनाओ, आत्मनिर्भर बनो अभियान चलाकर राखियां बनाना शुरू कर दिया है, जबकि सिंधी समाज की महिलाएं भी अपने हाथ से राखियां बनाने की तैयारी कर रही हैं।

दरअसल, 10 दिन के लिए शहर में लॉकडाउन है, ऐसे में रक्षाबंधन के लिए शहर के बाजार खुलना मुश्किल ही है। इसे देखते हुए सामाजिक व धार्मिक संगठनों से जुड़ी महिलाओं ने खुद ही राखियां बनाना शुरू कर दिया है। रेशम के धागे, मोतियों सहित अन्य जरूरी सामग्री से ये सुंदर राखियां बनाई जा रही हैं। सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया परेशान है। इस वायरस के फैलने की शुरुआत चीन से हुई है। लिहाजा, चाइनीज की जगह खुद की बनाईं राखियां ही भाईयों की कलाईयों पर पहनाएंगे।

गायत्री परिवार ने आह्वान किया है कि जो बहनें अपने मायके नहीं जा पा रहीं या भाई को राखी नहीं पहना पा रहीं, वे अपने ही क्षेत्र के कोरोना वॉरियर्स यानी डॉक्टर, पुलिसकर्मी, बिजलीकर्मी या सफाई कर्मी आदि को राखी बांधकर उनका हौसला अफजाई करें। साथ ही देश की सीमाओं पर हमारे सैनिक के लिए राखियां भेजें।

सात जुलाई से राखियां बनाने के लिए महिलाओं को ऑनलाइन प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है। गायत्री परिवार भोपाल का महिला एवं युवा प्रकोष्ठ हर साल की तरह इस बार भी स्वदेशी राखी बनाने के अखिल विश्व गायत्री परिवार के अभियान के तहत प्रशिक्षण एवं जनजागरण कर रहा है। भोपाल महिला मंडल की बहनें अपने-अपने क्षेत्रों में सूती, रेशम धागे, मौली (कलावा) ऊन, रुद्राक्ष, तुलसी चंदन के दाने, मोती आदि घर में उपलब्ध सजावटी सामान से तिरंगा राखी, कलावा राखी, रुद्राक्ष, तुलसी व स्वास्तिक राखी बना रही हैं। जो एक रुपये से लेकर दस रुपये तक में दी जा रही हैं।

 दिगम्बर जैन महिला परिषद की महिलाओं ने अपने-अपने घरों में राखियां बनाना शुरू कर दिया है। परिषद ने ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित कर श्रेष्ठ राखियों को पुरस्कृत भी किया है। अखिल भारत वर्षीय दिगम्बर जैन महिला परिषद की संभाग अध्यक्ष भारती जैन ने बताया कि नेहरु नगर, अशोका गार्डन एवं अभिरुचि परिसर की महिला शाखाएं ‘स्वदेशी अपनाओ, आत्मनिर्भर बनो’ का संदेश भी दे रहीं हैं। लॉकडाउन के बाद ये सीमा पर रक्षा कर रहे सैनिक भाईयों एवं कोरोना महामारी में दिन-रात सेवा कर रहे कोरोना योद्धाओं के लिए भी राखियां भेजेंगी।

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