Home पूजा-पाठ आज महासिद्धि योग में बसंत पचंमी करें मां सरस्वती की पूजा……

आज महासिद्धि योग में बसंत पचंमी करें मां सरस्वती की पूजा……

बसंत पंचमी पर गुलाल लगाने की परंपरा भी चली आ रही है।

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बसंती पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाएगी। इस बार गुरुवार उत्तरा नक्षत्र महासिद्धियोग में पंचमी मनाई जाएगी। विशेष संयोग में पूजा-अर्चना से मां सरस्वती की कृपा बरसेगी। घरों और स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

पद्मेश इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक साइसेंस के संस्थापक पंडित केए दुबे पद्मेश का कहना है कि भगवती शारदा का मूल स्थान शशांक सदन अर्थात अमृतमय प्रकाशपुंज है। मां यहां से अपने उपासकों के लिए निरंतर 50 अक्षरों के रूप में ज्ञानामृत की धारा प्रवाहित करती है। माता भगवती का प्रकट्य बसंत पंचमी के दिन हुआ है। 30 जनवरी को सर्वार्थ सिद्धियोग व रवि योग महापर्व है। पढ़ने में कमजोर या अध्ययन में रुचि नहीं लग रही है। उन्हें मां के मूल मंत्र का जाप करना चाहिए। यह मूल मंत्र है-श्रीं हीं सरस्वत्यै स्वाहा।

बसंत पंचमी पर्व 30 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती को पूजा अर्चना कर खुश किया जाता है। इस दिन माँ सरस्वती की पूजा का विधान है| बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और दिन के मध्य भाग से पहले की जाती है। माता को बूंदी, बेर, चूरमा, चावल का खीर का भोग लगाना चाहिए। देवी को गुलाब अर्पित करना चाहिए।

 बसंत पंचमी : यह दिन अन्नप्राशन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। आचार्य मनोज द्विवेदी ने बसंत पंचमी को परिणय सूत्र यानी शादी के बंधन में बंधने के लिए भी बहुत खास माना जाता है। गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरूआत के लिए भी इस दिन को अत्यंत शुभ माना गया है। प्रसाद के रूप में खीर, दूध से बनी मिठाइयां चढा सकते हैं।

बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती के साथ ही राधा-कृष्ण की पूजा का भी शास्त्रों में उल्लेख मिलता है। श्रीराधे और श्रीकृष्ण प्रेम के प्रतीक हैं। इस दिन कामदेव का पृथ्वी पर आगमन होने की मान्यता है। इसके साथ ही प्रेम में कामकुता पर नियंत्रण और सादगी के लिए राधा-कृष्ण की पूजा का विधान सदियों से चला आ रहा है। बसंत पंचमी के दिन पहली बार राधा-कृष्ण ने एक दूसरे को गुलाल लगाया था। बसंत पंचमी पर गुलाल लगाने की परंपरा भी चली आ रही है।

सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद मां सरस्वती की वंदना करें। पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र व किताबें रखें। बच्चों को भी बैठाएं। बच्चों को तोहफे के रुप में पुस्तक दें। इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें। पीले वस्त्र पहन कर पूजा करना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार तो इस दिन बच्चे की जीभ पर शहद से ए बनाए। बच्चा ज्ञानवान होता है। शिक्षा ग्रहण करने लगता है। ल्ल बच्चों को उच्चारण सिखाने के लिहाज से भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है। छह माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इस दिन खिलाया जाता है।

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