शहडोल। जिला मुख्यालय से 105 किलोमीटर दूर स्थित अनहरा गांव के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में पढ़ने वाली एक दर्जन से अधिक छात्राएं अजीब बीमारी से ग्रस्त हैं। ये लड़कियां अचानक बैठे बैठे कांपने लगती हैं और जोर जोर से चीखने चिल्लाने के बाद बेहोश हो जाती हैं। अनहरा स्कूल में यह घटना 12 दिसंबर से लगभग हर दिन घटित हो रही है, लेकिन जिला प्रशासन ने अब तक इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई है। इस घटना के बाद पूरे गांव में दहशत का माहौल है। डर के कारण अधिकांश बच्चों ने स्कूल आना ही बंद कर दिया है। जिस कारण गांव की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। ग्रामीणों का कहना है कि मामले की शिकायत जिला प्रशासन के लगभग सभी अधिकारियों को की जा चुकी है लेकिन 2 माह बाद भी इस समस्या का निराकरण नहीं हो सका है। अन्हरा के माध्यमिक और प्राथमिक स्कूल में कक्षा से 1 से लेकर 8 तक 87 छात्र संख्या दर्ज है लेकिन वर्तमान समय में सिर्फ 20 से 25 विद्यार्थी ही स्कूल पहुंच रहे हैं।
अन्हरा स्कूल में गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम चल रहा था तभी 4 छात्राएं अचानक अजीब-अजीब हरकत करने लगीं। उपस्थित अभिभावक और ग्रामीण कुछ समझ पाते इसके पहले वे बेहोश होकर गिर गईं। लगभग आधे घंटे बाद बड़ी मशक्कत के बाद चारों लड़कियों को दोबारा होश आया। इस घटना के बाद से गांव में और ज्यादा दहशत का महौल बना हुआ है।
स्कूल में अध्यनरत सिर्फ छात्राएं ही हर दिन इस घटना का शिकार हो रही हैं। स्कूल प्रबंधन और ग्रामीणों ने बताया कि अब तक लगभग एक दर्जन छात्राएं इस घटना का शिकार हो चुकी हैं। इसमें हैरानी की बात यह है कि प्रभावित छात्राएं कक्षा 1 से लेकर 8 वीं तक शामिल हैं, जबकि इनमें एक भी छात्र शामिल नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि लड़कों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही है लेकिन दहशत के कारण उन्होंने ने भी स्कूल आना छोड़ दिया है।
मानिसक रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकुंद चतुर्वेदी ने बताया कि यह जो लक्षण बताया जा रहा है उसे मॉस हिस्टिरिया कहते हैं। इसका इलाज संभव है। इससे प्रभावित लोगों को कुछ समय के लिए उस वातावरण से दूर कर देना चाहिए, इसके साथ ही उनकी काउंसिलिंग की जाए तो यह लक्षण ठीक हो सकता है। यह एक साइकोलाजिकल बीमारी भी है, जो एक दूसरे को प्रभावित होते देख होने लगती है। बधाों को इस बीमारी से दूर करने के लिए एक अच्छा संवाद करना होगा, जिसके बाद इस समस्या से उन्हें छुटकारा मिल सकता है। यदि उक्त गांव में इस प्रकार की समस्या छात्राओं को है तो इसे दूर किया जा सकता है। यह एक प्रकार से मानसिक बीमारी है और कुछ नहीं। जल्द ही गांव जाकर समस्या निराकरण किया जाएगा।