देशभर से जहां औद्योगिक मंदी की खबरें आ रही हैं, वहीं मध्यप्रदेश फिलहाल इससे अछूता नजर आ रहा है। यहां काम शुरू करने के लिए उद्योगपति काफी रुचि दिखा रहे हैं। इसकी तस्दीक औद्योगिक केंद्र विकास निगम (एकेवीएन) के राजस्व कमाई के आंकड़े भी करते हैं। निगम के लिए वर्ष 2018-19 और इसके बाद का अब तक का समय सबसे अच्छा साबित हुआ है। एकेवीएन के बनने के बाद से यह सबसे बड़ा राजस्व है। इस दौरान निगम ने करीब 420 एकड़ जमीन उद्योगों को दी है। पिछले आठ महीनों में ही इंदौर एकेवीएन क्षेत्र में 58 कंपनियों ने 15 सौ करोड़ रुपए का निवेश किया है। वहीं अब कुछ बड़ी कंपनियां पीथमपुर में करीब चार हजार करोड़ का निवेश करने जा रही हैं।
इनसे करीब तीन हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इन कंपनियों ने अपने निवेश प्रस्ताव एकेवीएन को सौंप दिए हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में इन कंपनियों की कुल मांग करीब तीन सौ एकड़ जमीन की है। इन कंपनियों में भारत फोर्ज, डाबर, सिंबायोटेक, सिप्ला जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं। निवेश के लिए आ रही कंपनियों के मुताबिक पीथमपुर में उन्हें सबसे बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर मिल रहा है जो तीन-चार वर्षों में सबसे बेहतर हुआ है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग द्वारा वर्ष 2018 में औद्योगिक क्षेत्रों के लिए जारी की गई एक रैंकिंग में पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को इंटरनल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड यूटीलिटी कैटेगरी में देशभर में पहला स्थान मिला था। एकेवीएन द्वारा ऑटो टेस्टिंग ट्रैक (नेट्रिप) के नजदीक विकसित किए गए स्मार्ट इंडस्ट्रियल एरिया का काम इसी साल पूरा हुआ है। यहां भी करीब 45 कंपनियों ने प्लॉट ले लिए हैं, वहीं सात कंपनियों ने अपनी फैक्टरियां बनाना भी शुरू कर दिया है। एकेवीएन के मुताबिक यहां अगले कुछ समय में पांच से छह हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा, वहीं आने वाले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में करीब 20 हजार करोड़ रुपए तक के निवेश की संभावना है जहां 20-25 हजार लोगों को रोजगार भी मिलेगा। जहां निवेश लेकर कंपनियां आ रही हैं, वहीं एकेवीएन इंदौर की कमाई भी लगातार बढ़ रही है। वित्तीय वर्ष 2018-19 और पिछले आठ महीने में एकेवीएन ने करीब 420 एकड़ जमीन 111 कंपनियों के लिए दी है और इनसे करीब 250 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया है। इन कंपनियों ने करीब तीन हजार करोड़ रुपए का निवेश किया है। वहीं इसके पहले वर्ष 2017-18 में एकेवीएन को 110 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था जो तब तक का सर्वाधिक था।