रायपुर। जंगल सफारी स्थित शेर के शावक की आंत में हड्डी फंस गई थी। इस कारण वह पिछले चार दिनों से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा था। वन विभाग के पशु चिकित्सक उपचार कर रहे थे, लेकिन शावक को राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही थी। सफारी प्रबंधन शावक का ऑपरेशन कराने के लिए तमिलनाडु के वन्यजीव प्रेमी डॉ. मनोहरण से सलाह ली तो उन्होंने रैक्टोपोव पद्धति से उपचार कराने की सलाह दी। उसके बाद सफारी प्रबंधन ने रामकृष्ण प्रबंधन से शावक के उपचार के लिए आग्रह किया। रामकृष्ण से डॉक्टरों की टीम इलाज के लिए पहुंची। उसके बाद डॉक्टरों की टीम ने कैमरे की मदद से शावक की आंत में फंसी हड्डी को तोड़ने में सफलता पाई। छत्तीसगढ़ का यह पहला मामला है, जब मनुष्य के डॉक्टर ने वन्यजीव का उपचार किया है। जंगल सफारी प्रबंधन का कहना है कि शावक को धीरे-धीरे आराम मिल रहा है। ज्ञात हो कि शेर के शावक को पिछले कुछ दिनों से टॉयलेट करने में परेशानी हो रही थी। इसके साथ ही वह कुछ खा-पी नहीं रहा था। उपचार से उसे किसी तरह का लाभ नहीं मिल रहा था। उसे उपचार के लिए अंजोरा पशु चिकित्सा महाविद्यालय ले जाया गया, लेकिन खास राहत नहीं मिल रही थी। शावक का ऑपरेशन कराने की योजना बनाई जा रही थी। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद शावक के 10 प्रतिशत ही बचने की उम्मीद रहती है, लेकिन अब इस पद्धति से इलाज करने से 95 प्रतिशत बचने की उम्मीद हो गई है।
हल्का भोजन और सूप दिया जा रहा
जंगल सफारी के डायरेक्टर के मुताबिक शेर शावक की तकलीफ को देखते हुए उसके भोजन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शावक को खाने में बगैर हड्डी के बोन लेस मांस दिया जा रहा है। इसके साथ ही शावक को समय-समय पर सूप दिया जा रहा है। शावक को लूज मोशन कराने के लिए सूप दिया जा रहा है, ताकि कुछ बची हुई हड्डी गुदा के सहारे बाहर निकल सके।
36 लाख का सामान लेकर पहुंची थी डॉक्टरों की टीम
वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि रामकृष्ण अस्पताल के प्रबंधक संदीप दवे से उपचार के लिए आग्रह किया तो वह एंडोस्कोपिस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. ललित निहाल, एनेस्थेटिक्स्ट स्पेशलिस्ट डॉ. इमरान, डॉ. तनुश्री सहित सहयोगियों के साथ 36 लाख रुपये के उपकरण से रैक्टोपोब प्रक्रिया के तहत उपचार किया गया।