मैना 12 साल की है। मां तीन साल पहले चौथी संतान को जन्म देते हुए मर गई। पिता दिहाड़ी करने जाता है, डेढ़ दो सौ रु रोज की। रहली जैसे कस्बे में हफ्ते में दो दिन काम मिल ही जाता है। मैना के नन्हें हाथों पर अपने दो छोटे भाइयों और पिता के लिए खाना बनाने खिलाने की जिम्मेदारी है, इतना सब करने के अलावा उसे स्कूल भी जाना होता है। छठी क्लास में पढ़ती है वह। मैना का घर पटेल के मकान की दीवार के सहारे टटेरों से बनाई छपरी है। छपरी में चार छह बर्तन, चीथड़ों जैसे कपड़े लत्ते और चार ईंटें रख कर बनाया गया चूल्हा है। तस्वीरों में दिख रहा घर मैना का ही है। दो दिन से वह घर में नहीं है। वह ‘जेल’ में है। उसने चोरी की है। दस किलो गेंहूं के लिए। ऐसे दस किलो गेंहूं के लिए जो वह घर से चक्की तक पिसाने घर ले गई और आटा उठाने गई तो चक्की वाला मुकर गया, उसने कहा तुम गेंहू लाई ही कब थी! गेंहू लिए बिना मैना घर कैसे जा सकती थी। वह अपने कस्बे से कई किमी दूर बहुत ऊंची पहाड़ियों पर बने दुर्गा जी के मंदिर गई। सैकड़ों सीढ़ियां चढ़ते हुए सोचा होगा कि देवी जी ही उसके गुमे हुए गेंहू का पता बता सकती हैं। लेकिन अंततः उसने मंदिर की दानपेटी से रुपए निकाल लिए। पूरे ढाई सौ रु थे। कस्बे में आकर 180 रु के दस किलो गेंहू खरीद कर खरीदे और घर पर रख दिए। इतनी कवायद के बाद शाम हो चली थी और वह घर से आधा किमी दूर चल कर उस नामुराद चक्की वाले के पास जाकर आटा पिसाने का नंबर नहीं लगा सकती थी।
ऊपर लिखी घटना 26 सितंबर को घटी सच्ची घटना है। गवाही मंदिर के सीसीटीवी ने दी है। मंदिर की दानपेटी खुली देख कर पंचों में हडकंप मचा। सीसीटीवी ने राज खोला कि मैले से लाल कपड़ों वाली एक बालिका ने देवी जी की दानपेटी पर हाथ साफ किया है। टिकीटोरिया मंदिर की दानपेटी का प्रतिदिन औसत चार सौ रु है। इसलिए मंदिर कमेटी ने इतने की ही रिपोर्ट रहली थाने में रिपोर्ट लिखाई। विजय माल्या के देश भारतवर्ष की पुलिस ने इस वारदात की पतासाजी के लिए कितना बड़ा तामझाम फैलाया यह नीचे पुलिस प्रेसनोट की कापी में आप पढ़ लीजिए। अंततः मैना तक पुलिस पहुंच ही गई। उसके घर से दस किलो गेंहूं और स्कूल के बस्ते से पूरे 70रु पुलिस ने बरामद कर लिए। उसने बताया कि कुछ नगद नोट और बहुत से सिक्के उसने निकाले थे जो कुल ढाई सौ रु थे। बजे मैना को थाने ले जाया गया और धारा 454, 380 ताजिरातेहिंद यानि गृहभेदन और चोरी में गिरफ्तार कर लिया गया। सरकार ने बच्चों की “सुविधा और सुरक्षा” के लिए अलग कोर्ट बनाई है जो से किशोर न्यायालय कहते हैं। उसे इस खास अदालत में पेश करने के लिए 45 किमी दूर जिला मुख्यालय सागर ले जाया गया। यहां दुर्भाग्य मैना का इंतजार कर रहा था।
परसों यानि शनिवार, 29 सितंबर को सागर किशोर न्यायालय में सुनवाई के लिए “मेडमें” नहीं थीं। यहां से मैना नामक अपचारी को ‘नियमानुसार’ शहडोल के बालिका सुधार गृह में भेज दिया गया। सागर से पौने चार सौ किमी दूर है शहडोल। मैना यह सब नहीं जानती, उसज यही समझ आया कि उसने चोरी की है, पुलिस ने पकड़ कर उसे जेल भेजा है। लेकिन जेल इतनी दूर क्यों है वह नहीं समझ सकी। ढीमर जाति का उसका गरीब पिता न तो वकील खड़ा नहीं कर सका और न ही बेटी के साथ शहडोल जा सका। बहुत पैसा लगता इस सब में …घर के दस किलो गेंहूं भी चले गए, मैना के आठ और दस साल के दो भाई उस छपरी में इंतजार कर रहे थे जिसे मैना घर कहती है। …और रात हो चली थी, अभी उसे 45 किमी दूर अपनी छपरी तक पहुंचने का किराया भी चुकाना था। मैं नहीं जानता कि उसने वापस जाकर दहशत और ग्लानि से गुजर रहे अपने बच्चों को क्या बताया होगा। उन तीनों ने उस रात खाना बनाया होगा या नहीं।
बीते हफ्ते यह सच्चा किस्सा मध्यप्रदेश में सागर जिले के रहली नगर में संपन्न हुआ है। तस्वीरों में मैना के परिवार की गरीबी टटेरों से टपक रही है लेकिन उसके पास बीपीएल कार्ड नहीं है। होता तो वह दस किलो गेंहूं सिर्फ दस रु में ले लेती और 180 रु में खरीदने के लिए उसे देवी मां से ढाई सौ रु नहीं मांगना पड़ते। इस नगर के विधायक प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव हैं, सांसद कद्दावर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल हैं, मंत्री हर्षयादव हैं, कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक हैं, और बताने की आवश्यकता नहीं कि मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं। टिकीटोरिया मंदिर कमेटी के अध्यक्ष भी वहां कोई मालगुजार व नेता अवधेश हजारी हैं। बाल संरक्षण अधिनियम कहता है कि किशोर न्यायालय बोर्ड में रोस्टर के अनुसार प्रतिदिन (अवकाश में भी) एक सदस्य प्रकरणों की सुनवाई के लिए उपस्थित होना चाहिए। इस हेतु सागर में शालू सिरोही चौकसे और प्रीति यादव नामक दो सदस्याएं नियुक्त हैं जिन्हें लगभग चालीस हजार रच मासिक मानदेय मिलता है किंतु दोनों एक साथ ही भोपाल गई हुई थीं। इनकी अनुपस्थिति में मैना को महिला पुलिस की अभिरक्षा में ही अगले दिन के लिए रखा जा सकता था या किसी पड़ोसी जिले के किशोर न्यायालय सदस्य के निवास पर पेश किया जा सकता था। जहां आसानी से मैना जमानत पर पिता को दे दी जाती।
…न जाने क्यों मुझे लगता है कि जब भी मैना जेल से छूट कर आएगी और कभी उसके पास ढाई सौ रु हुए तो वह ये रु लौटाने टिकीटोरिया मंदिर की दुर्गा मां के पास जरूर जाएगी। क्या पता उसके और देवी मां के बीच क्या बात हुई थी? …अपनी माँ नहीं होने पर बच्ची और किसके आगे मदद के लिए हाथ फैलाती।
.