Home राजनिति पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अनुच्छेद 370 पर केंद्र सरकार के फ़ैसले...

पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अनुच्छेद 370 पर केंद्र सरकार के फ़ैसले की आलोचना की…..

129
0


राहुल गांधी ने फ़ैसले के एक दिन बाद ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘‘राष्ट्रीय एकता का विस्तार जम्मू.कश्मीर को एकतरफ़ा बाँटने से नहीं होगा। चुने हुए प्रतिनिधियों को जेल में बंद करना हमारे संविधान का उल्लंघन है। इस राष्ट्र का निर्माण यहां के लोगों से हुआ है न कि धरती के टुकड़े से। यह कार्यकारी शक्तियों का दुरुपयोग है और यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंताजनक है।ष्
कांग्रेस की तरफ़ से राज्यसभा में ग़ुलाम नबी आज़ाद और पी चिदंबरम ने ज़ोरदार विरोध किया, लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तरफ़ से कोई टिप्पणी नहीं आने की वजह से ये पता नहीं चल पा रहा था कि कांग्रेस की आधिकारिक लाइन क्या है।
मगर कांग्रेस के कई नेता खुलकर अनुच्छेद 370 पर बीजेपी के साथ आते नज़र आए।
कांग्रेस के रुख़ से नाराज़ पार्टी के चीफ़ व्हिप भुवनेश्वर कलिता ने सोमवार को ही राज्यसभा और पार्टी से इस्तीफ़ा दे दियाण् कलिता असम के सीनियर कांग्रेस नेता थे।
उन्होंने पार्टी से इस्तीफ़ा देने के बाद कहा, ‘‘कांग्रेस ने मुझसे कश्मीर मुद्दे पर व्हिप जारी करने के लिए कहा था। लेकिन सच यह है कि देश का मूड पार्टी के रुख़ से बिल्कुल अलग है। मुझे लग रहा है कि कांग्रेस आत्महत्या करने पर उतारू है और मैं इसका हिस्सा नहीं बनना चाहता हूं। मैं कोई व्हिप का पालन नहीं करने वाला था इसलिए इस्तीफ़ा दे दिया। कांग्रेस नेतृत्व ख़ुद को ख़ुद से ही ख़त्म करने पर तुला है। मेरा मानना है कि कांग्रेस को ख़त्म होने से कोई नहीं बचा पाएगा।’’
कांग्रेस के सीनियर नेता जनार्दन द्विवेदी ने भी बीजेपी का अनुच्छेद 370 पर समर्थन किया। द्विवेदी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि अनुच्छेद 370 इतिहास की एक ग़लती थी, जिसे सही कर दिया गया है।
द्विवेदी ने कहा कि यह उनकी निजी राय है और इस मामले में वो बीजेपी का समर्थन करते हैं। कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद और पी चिदंबरम इसे संविधान की हत्या कह रहे हैं और इनका कहना है कि क़दम बीजेपी की विचारधारा से प्रेरित है ना कि राष्ट्रहित में उठाया गया क़दम।
पिछले साल जुलाई में जब कांग्रेस वर्किंग कमिटी में फ़ेरबदल किया गया था तो द्विवेदी को बाहर कर दिया गया था। जनार्दन द्विवेदी ने कहा, ‘‘यह बहुत पुराना मुद्दा है। आज़ादी के बाद कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जो अनुच्छेद 370 को नहीं चाहते थे। मैं पार्टी के रुख़ की बात नहीं कर रहा। लेकिन मेरे राजनीतिक गुरु राममनोहर लोहिया जी हमेशा अनुच्छेद 370 के ख़िलाफ़ बोलते थे और हमलोग इसे छात्र आंदोलन में भी उठाते थे। मेरी निजी राय है कि यह राष्ट्रीय संतुष्टि का मामला है।’’
द्विवेदी ने कहा कि इतिहास की ग़लती को आज दुरुस्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि इसे करने में काफ़ी वक़्त लगा। यह कोई पहली बार नहीं है जब द्विवेदी ने पार्टी से अलग राय रखी है। 2015 में भी द्विवेदी ने नरेंद्र मोदी के पीएम बनने पर तारीफ़ की थी।
रायबरेली से कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह ने भी अनुच्छेद 370 के समर्थन में ट्वीट किया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘‘हम अनुच्छेद 370 पर सभी एक साथ हैं। जय हिन्द।’’
इस ट्वीट पर लोगों ने अदिति सिंह से पूछा कि आप तो कांग्रेसी हैं। इस पर अदिति ने कहा कि वो हिन्दुस्तानी हैं। ट्विटर पर ज़्यादातर लोगों ने अदिति सिंह की प्रशंसा की है।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे और कांग्रेस नेता दीपेंदर सिंह हुडडा ने भी अनुच्छेद 370 तो ख़त्म किए जाने का समर्थन किया है।
हुड्डा ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मेरा पहले से ये विचार रहा है कि 21वी सदी मे अनुच्छेद 370 का औचित्य नही है और इसको हटना चाहिए। ऐसा देश की अखंडता और जम्मू.कश्मीर की जनता जो हमारे देश का अभिन्न अंग है के हित में भी है।
मगर मौजूदा सरकार की ज़िम्मेदारी है की इसे लागू शांति और विश्वास के वातावरण में किया जाए।’’
किसने किया समर्थन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पाँच अगस्त को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने का एलान करते ही सदन में हंगामा खड़ा हो गया।
कांग्रेस, आरजेडी, सीपीएम, सीपीआई, मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस और एमडीएमके ने सरकार के फ़ैसले का विरोध किया जबकि टीमएसी, जेडीयू और एनसीपी वॉकआउट कर गईं।
बीजेपी के अलावा एआईएडीएमके, एलजेपी, आरपीआई, अकाली दल, शिव सेना, वाईएसआर कांग्रेस, बीजेडी, टीडीपी, आम आदमी पार्टी और बीएसपी ने बदलाव का समर्थन किया।
अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के प्रस्ताव और जम्मू.कश्मीर पुनर्गठन बिल के समर्थन में 125 सांसदों ने वोट किया और 61 सांसदों ने ख़िलाफ़ में वोट किया जो मुख्य रूप से कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों के थे।
टीएमसी और जेडीयू ने वोट का बहिष्कार किया जबकि अरविंद केजरीवाल और मायावती इस मामले में सरकार के साथ खड़े रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here