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महबूबा की बेटी बोलीं, कश्मीरियों के लिए फ़ैसला है तो हमें क्यों बंद किया….

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जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को ख़त्म किए जाने के बाद सोमवार शाम श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्लाह को हिरासत में ले लिया गया उन्हें सरकारी गेस्ट हाउस ‘हरि निवास’ में रखा गया है।
श्रीनगर के एग्ज़ीक्यूटिव मैजिस्ट्रेट की ओर से जारी किए गए एक आदेश के मुताबिक़, महबूबा मुफ़्ती की गतिविधियों से प्रदेश की शांति भंग होने का ख़तरा था इसलिए उन्हें एहतियातन हिरासत में लिया गया है।
इस बारे में महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तिजा जावेद घर का नाम सना से ‘वॉइस नोट्स’ के ज़रिये बीबीसी संवाददाता कुलदीप मिश्र ने बात की।
जब महबूबा मुफ़्ती को श्रीनगर स्थित उनके घर से हिरासत में लिया गया तो सना उनके साथ घर में ही मौजूद थीं।
सना मुफ़्ती ने बताया कि रविवार देर रात ही कश्मीरी नेताओं को यह मालूम हुआ कि उन्हें नज़रबंद रखा जाएगा।
उन्होंने बताया, सबसे पहले उमर अब्दुल्लाह साहब ने ट्वीट किया। फिर मेरी मां को भी इस बारे में पता चलां। सोमवार शाम तक वो नज़रबंद थीं। फिर शाम 6 बजे हमें पता चला कि उन्हें एहतियातन हिरासत में लिया जाएगा। लगभग 7 बजे चार-पांच अधिकारी आए। ज़िलाधिकारी भी आईं। उन्होंने मेरी मां को एक आदेश का काग़ज़ दिया और उन्हें थोड़ा वक़्त भी दिया कि वो ज़रूरत का सामान साथ ले सकें।
सना ने बताया कि हरि निवास, जहां उनकी मां को रखा गया है, वह उनके घर से 5.10 मिनट की दूरी पर ही है लेकिन परिवार से किसी को उनसे संपर्क करने या मिलने की इजाज़त नहीं दी गई है।
उन्होंने कहा, मैं अपनी मां के साथ जाना चाहती थी लेकिन इसकी इजाज़त नहीं दी गई।
सना मुफ़्ती का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों को ख़ुद अंदाज़ा नहीं है कि ये हिरासत कब तक जारी रहेगी, वे सिर्फ़ ऊपर से आए आदेशों का पालन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, जब यहां के संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल साहब को दो दिन पहले तक पता ही नहीं था कि क्या होने वाला है तो मुझे नहीं लगता कि अधिकारियों को इस बारे में कोई अंदाज़ा है। हमें कहा गया है कि कल.परसों तक उन्हें छोड़ देंगे लेकिन हमें इन पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। मैं बस उम्मीद करती हूं कि मेरी मां सुरक्षित हों क्योंकि ऐसे माहौल में कुछ भी किया जा सकता है।
सना ने बताया कि उन्होंने राजनीति शास्त्र की पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड की वॉरविक यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशंस में मास्टर्स किया है। वह दुबई और लंदन में नौकरी कर चुकी हैं और अब वो ज़्यादातर समय कश्मीर में ही रहती हैं।
उन्होंने बताया, जब से मेरे नाना मुफ़्ती मोहम्मद सईद का इंतक़ाल हुआ, मैंने कोशिश की है कि मैं अपनी मां के साथ रहूं और उनके राजनीतिक सफ़र और विज़न में उनकी मदद करूं।

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