छत्तीसगढ़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को चमकाने वाला व्यक्ति टीएस सिंहदेव की बदौलत कांग्रेस में लहर आयी थी, परंतु जब कांग्रेस में बहुमत आया। तब आपसी विवाद चालू हो गया। क्या मालूम था कि, हाईकमान की दोहरी निति के कारण कांग्रेस को पराजय का मुंह देखना पड़ेगा ? क्या हाईकमान पूर्व मुख्यमंत्री के दबाव में आकर सही ढंग से निर्णय नहीं ले पायें ? जो कि कांग्रेस को पराजय का मुंह देखना पड़ा।
लोगों में तरह-तरह की चर्चाऐं है कि, जब चुनाव का महौल बना, तब हाईकमान ने टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री का एक मुखौटा लगाकर आगे बढ़ाया। जिससे विधानसभा में सरगुजा संभाग लोकसभा को प्राप्त हो गया। और जब हाईकमान की नींद खुली तब हाई कमांड ने संज्ञान में लिया कि, टीएस सिंहदेव को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाये।
जानकार सूत्र बताते है कि, सप्ताह-दस दिन के अन्दर नये प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। पर सोचने वाली बात है कि, पूर्व की तरह कांग्रेस को वापसी का चान्स मिलेगा है या नहीं ? एक कहावता है ‘‘जब तालाब खोद नहीं पाते, उससे पहले ही मगरमच्छ कुदना चालु कर देते है’’। जैसे – एक मंत्री कटुता रखने वाला जिनका नाम है अमरजीत भगत। उन्होंने कांग्रेस में फुट डालो शासन चलाओ की निति अपनाई। लोगबाग में चर्चाऐं है कि, अब कांग्रेस में टीएस सिंहदेव के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर स्वीकार करेंगें ? या अपने गुरू के बताये अनुसार तीसरा गुरू तैयार करेंगें ? या अपने गुरू अजीत जोगी की विचारधाराओं को अपनायेगें ? इनके विचारों को अपनाऐंगे तो कांग्रेस को कितना फायदा और कितना नुकसान होगा ? अब यह देखना है कि, हाईकमान के पास टीएस सिंहदेव के आलावा नया प्रदेश अध्यक्ष कौन बनेगा ? यह समाचार आम जनता के विचारधाराओं द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है।