जशपुर : जिले में खेती-किसानी को उन्नत बनाने के प्रयासों के साथ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए भी निरंतर प्रोत्साहित कर रही है। इस क्रम में आईआईटी भिलाई के सहयोग से आईआईटी रुड़की द्वारा जशपुर में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जिसकी शुरुआत आज हो गई है। कलेक्ट्रेट मंत्रणा कक्ष में आयोजित कार्यशाला में कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल शामिल हुए। इस दो दिवसीय कार्यशाला में जिले के दस अलग-अलग विभाग के अधिकारियों ने लिया हिस्सा है। जिन्हें टिकाऊ कृषि, भूमि, जंगल और पर्यावरण सहित अन्य विषयों पर आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों द्वारा जानकारियां दी जा रही है। कार्यशाला के पहले दिन इसमें शामिल अधिकारियों ने उक्त निर्धारित विषयों पर प्रश्न पूछे जिन सब पर विशेषज्ञों ने विस्तारपूर्वक जानकारियां दी। साथ ही पर्यावरण और कार्बन ऊर्जा उत्पादन को लेकर चर्चा की गई।
इस अवसर पर कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल ने टिकाऊ कृषि, भूमि, जंगल और पर्यावरण के प्रबंधन में ऐसी कार्यशालाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा इस कार्यशाला ने ज्ञान के आदान-प्रदान, सहयोग को बढ़ावा देने और स्थायी भूजल प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान किया है। विशेषज्ञों और भागीदारों की जबरदस्त प्रतिक्रिया और सक्रिय भागीदारी इस विषय के महत्व और प्रासंगिकता को दर्शाती है।
कार्यशाला में जिले के कृषि, ट्राइबल, वन, खनिज, रोजगार शिक्षा, सहित अन्य 10 विभाग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया है । यह कार्यशाला ऐसी खेती को सीखने और उसकी समुचित योजना बनाने में कारगर साबित होगी। पूरे राज्य में सतत और उन्नत कृषि पद्धतियों के सफल मॉडल्स का परीक्षण करना और विशेष रूप से जशपुर जिले के लिये सर्वाधिक उपयुक्त पद्धतियों की पहचान करना कार्यशाला का उद्देश्य है। इन मॉडल्स में टिकाऊ कृषि, भूमि, जंगल, पर्यावरण और कार्बन ऊर्जा उत्पादन मूल्य श्रंखला से जुड़े विभिन्न पहलुओं को भी शामिल किया गया है।