बैकुण्ठपुर मुख्यालय में जितने अधिकारी उतने ही समस्याओं का अम्बार बना हुआ है। परंतु प्रशासन एक भी समस्या का समाधान नहीं कर पा रहा है। क्योंकि बताया जाता है कि, सभी समस्याओं की जड़ आर.आई. व पटवारी है, जो कि भूमि से संबंधित है। लोगों में चर्चा का विषय है कि, हर सप्ताह श्रीमान् कलेक्टर महोदय जी द्वारा टी.एल. मीटिंग रखा जाता है। उस टी.एल. मीटिंग में हर विभाग की समस्याओं को लेकर बात होती है। जिसमें पूर्व में मार्गदर्शन रोड़ पर डेढ़ एकड जमीन पर लगभग दस हर्रा पेड़ के काटने को लेकर चर्चा टी.एल. मीटिंग में हुई थी। परंतु पटवारी बालमिक मिश्रा बैकुण्ठपुर के अंदर बहुत बड़ा कलाकारी पटवारी है। जहां जमीन को लेकर विवाद न हो वहां विवाद उत्पन्न करा देता है। उस बात को लेकर टी.एल. मीटिंग में जमीन पर आवाज उठाई गयी, पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई। इसी प्रकार नहरों का अस्तित्व खतरे में आ गया है महलपारा रोड में नहर को भाट कर मकान निर्माण कर कब्जा कर लिया गया था। इसी प्रकार भांड़ी जहां मोल के सामने नहर को भाट कर दो-तीन मंजिल मकान बना लिया गया है ये राजस्व विभाग के देखरेख में सब खेल-खेला जा रहा है। इसी प्रकार राजस्व विभाग के पदाधिकारी पैसे के बल पर काम करते रहेगें तो हमारे बैकुण्ठपुर की सभी नहरें राजस्व विभाग के हाथ से निकल जायेंगे। सोचा जाए तो तीन साल के अंदर राजस्व विभाग व छोटी झाड़ की जमीनों पर भी कब्जा कर लिया गया। वहीं आर.आई. व पटवारी बालमिक मिश्रा करोड़ों के आसामी बन गये है। यहां तक कि, गठेलपारा सोसायटी के आस-पास की सरकारी जमीनें सभी प्राइवेट व्यक्तियों के कब्जे में आ गयी है। जानकार सूत्र बताते है कि, गठेलपारा सोसायटी नदी के बगल में शासकीय बिल्डिंग और जमीन एक प्राइवेट व्यक्ति के नाम है, ये खेल आर.आई. व पटवारी के अलावा और कोई नहीं खेल सकता। परंतु शासन और प्रशासन आर.आई और पटवारी के ऊपर भरोसा करता है। पटवारियों का वेतन ज्यादा नहीं पर लाखों और करोड़ो की ऊपरी कमाई करते है जब तक सरकार चोरो और हेरा-फेरी करने वालो पर प्रतिबंध नहीं कर पायेगा तो ऐसी बैठकों से कोई समस्या का समाधान नहीं हो पायेगा। खाली खानापूर्ति करते रहे और समय आने पर स्थानांतरण का समान बांधे और चले गये, इसमें जनता का हित कहां ? क्योंकि पूर्व विधायक हो या वर्तमान जनता एक बंदर जैसी गुलाटी मारती चली आ रही है। पूर्व में विधायक के जितने भी हेरा-फेरी करने वाले दलाल थे आज वही वर्तमान विधायक के साथ हो गये। ऐसे लोगों की पूछ-परख बढ़ गयी है। क्योंकि सभी को अपना स्वार्थ सिद्ध करना है जनता के हित से उनको कोई लेना-देना नहीं। जनता के आगे एक बार हाथ-पैर जोड़ना, फिर जनता से पांच साल तक पैर पड़वाना।