बैकुण्ठपुर मुख्यालय में जल संसाधन विभाग से कुछ ठेकेदार, ठेकेदारी के नाम पर फर्जीवाड़ा जोरो-शोरो से चला रहे है। बताया जाता है कि, जिसका संबंध उपयंत्री अरूण निराला जी से भी है। लोगों में चर्चा है कि, विभाग में ऐसे फर्जी ठेकेदार जमकर बैठे रहते है। जो कि विभाग को अपनी बापोती बना लिए है। इस संबंध में उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया है कि, लगभग 40-40 लाख के फर्जी बिल जल संसाधन विभाग में लगाया गया है जिसमें से कुछ का पैसा निकाला गया है और कुछ लगे हुए है।
जानकार सूत्र बताते है कि, फर्जी बिल के आधार पर ठेकेदारों ने पक्का बिल्डिंग ठोक कर व चार चक्का वाहन खरीद कर शहंशाह दिखा रहे है। इस संबंध को लेकर कार्यपालन अभियंता ए.टोप्पो को भी मौखिक रूप से अवगत कराया जा चुका है कि, ये लोग पूर्व में भी फर्जी बिल लगाकर पैसा निकाले और अभी भी फर्जी बिल लगाये हुए है। क्या स्वामीनाथ पटेल से कार्यपालन अभियंता डरे हुए रहते है ? क्योंकि लोगों में चर्चा है कि, स्वामीनाथ पटेल का सुपुत्र सोमेस पटेल द्वारा बहुत बड़ा ठग व हेरा-फेरी करने वाला पत्रकार का भय बना हुआ है।
बताया जाता है कि, मंत्री के बगल में बैठना, पैर छूना, मंत्री के साथ फोटो खिंचाना, और अधिकारियों को चमकाकर पैसा निकालना सोमेस पटेल के लिए आम बात हो गई है। जबकि स्वच्छ छवी का व्यक्ति कभी-भी किसी व्यक्ति व मंत्री का भय नहीं रखता। वहीं नयी पीढ़ी के पत्रकारों के लिए पत्रकारिता एक व्यापार बन चुका है।
लोगों का कहना है कि, स्वामीनाथ पटेल के परिवारों की हर व्यक्ति का आय जांच की जाए कि, आय से ज्यादा सम्पत्ति कहां से आयी ? इस संबंध में दूरदर्शन दिल्ली को भी अवगत कराया जा चुका है कि, क्या पत्रकारिता की धज्जियां उड़ाने वाला सोमेस पटेल अपनी आय का ब्यौरा दे पायंेगे ?
वहीं जल संसाधन विभाग फर्जीवाड़ा का एक मात्र केन्द्र बन चुका है। यह जांच का विषय है कि, जो लोग ठेकेदारी के नाम से फर्जी बिल लगाकर आसामी बनाये हुए है। इनके पास गाड़ी और मकान खरीदने के लिए पैसे कहां से आये ? बताया जाता है कि, जल संसाधन विभाग में कोई भी फोटो काॅपी नहीं किया जाता। फिर भी फोटो काॅपी का फर्जी बिल बनाकर पैसा निकाला जा रहा है। क्या यह बात अधिकारियों के नजर है या नहीं ? अगर है तो कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही ? इससे साबित हो रहा है कि, अधिकारियों का भी इसमें मिलीभगत है। जबकि कानून सबके लिए एक है।
आम जनता जानती है कि, जो ठेकेदार बने हुए है उनके पास पूर्व में एक स्कूटी भी नहीं था और रहने के लिए मकान भी नहीं था परंतु जल संसाधन विभाग द्वारा अधिकारियों से मिलकर सब फर्जीवाड़ा किया जा रहा है और करोड़ो के आसामी बन चुके है। जानकार सूत्र बताते है कि, जल संसाधन विभाग के लिए एक गेट लिया जा रहा है जो कि बाजार में खुलेआम मिलता है परंतु दलाल ठेकेदार के बिल पर उसकी खरीदी क्यों की गयी ? मौके पर देखा जा सकता है कि, जल संसाधन विभाग फर्जी ठेकेदारों का अड्डा बना हुआ है। क्या ठेकेदारों से इनकी रिश्तेदारी है ? या ठेकेदार/अधिकारी कमिशनखोर बन रहे है।