Home पर्व चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित…………

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित…………

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नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना की जाती है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन दुर्गा मां के स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। वहीं जो लोग नौ दिन का व्रत रखते हैं। वह नवमी या अष्टमी पर इसका पारण करते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं। देवी को इस जगत की समस्त चर व अचर विद्याओं की ज्ञाता माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी सफेद रंग का वस्त्र धारण करती है। मां के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी पवित्रता, शांति, तप और शुद्ध आचरण का प्रतीक मानी जाती हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि 

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान के बाद सफेद वस्त्र धारण करें। घर में मौजूद ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा के सामने बैठकर ध्यान करें। मां ब्रह्मचारिणी को पंचामृत से स्नान करवाएं और ब्रह्मचारिणी को सफेद या पीले वस्त्र अर्पित करें। इस के बाद मां ब्रह्मचारिणी को रोली, चंदन व अक्षत चढ़ाएं। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में लाल गुड़हल का फूल अवश्य चढ़ाएं। फिर मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें। मंत्रों के जाप के बाद आरती करके भोग लगाएं।

मां ब्रह्मचारिणी के पूजा मंत्र 

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के इन मंत्रों के जाप से तप, त्याग, सदाचार और संयम में वृद्धि होती है।

ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।

दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।

जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।

धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।

पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

माता ब्रह्मचारिणी देवी कवच 

मां ब्रह्मचारिणी का यह कवच मंत्र बहुत ही शक्तिशाली है। चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के इस कवच मंत्र के जाप से जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।

अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥

पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥

षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।

अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी

साल 2024 चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। ऐसे में नौ दिन माता रानी अपने भक्तों के साथ रहकर उनकी सभी परेशानियां दूर करने वाली है।

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