मां ब्रह्राचारिणी का स्वरूप कैसा है
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही शांत और सौम्य है। वह हमेशा तपस्या और साधना में लीन रहती हैं। उनके हाथ में एक कमंडल और एक रुद्राक्ष की माला होती है। वह एक साध्वी की तरह वस्त्र पहनती हैं और उनके चेहरे पर एक शांत और सौम्य मुस्कान होती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को तपस्या और साधना की शक्ति प्राप्त होती है, और वह अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त कर सकता है।
मां ब्रह्राचारिणी की पूजा-आराधना से प्राप्त होने वाला फल
1. तपस्या और साधना की शक्ति: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को तपस्या और साधना की शक्ति प्राप्त होती है, जिससे वह अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त कर सकता है।
2. ज्ञान और बुद्धि की वृद्धि: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान और बुद्धि की वृद्धि होती है, जिससे वह अपने जीवन में सही निर्णय ले सकता है।
3. सुख और समृद्धि: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को सुख और समृद्धि प्राप्त होती है, जिससे वह अपने जीवन में खुशी और संतुष्टि महसूस कर सकता है।
4. रोगों से मुक्ति: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है, जिससे वह अपने जीवन में स्वस्थ और निरोगी रह सकता है।
5. आध्यात्मिक विकास: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक विकास होता है, जिससे वह अपने जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान और शांति प्राप्त कर सकता है।
ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा विधि और आराधना मंत्र
पूजा विधि:
1. स्नान और शुद्धिकरण करें।
2. पूजा स्थल पर ब्रह्मचारिणी देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
3. देवी को पुष्प, अक्षत, और फल अर्पित करें।
4. देवी को दूध, दही, और मधु से स्नान कराएं।
5. देवी को वस्त्र और आभूषण अर्पित करें।
6. देवी की आराधना करें और मंत्रों का जाप करें।
आराधना मंत्र:
1. “ॐ श्री ब्रह्मचारिण्यै नमः”
2. “ॐ ब्रह्मचारिण्यै विद्महे सूर्यमंडलमध्ये स्थितायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्”
3. “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे”
पूजा के लाभ:
1. ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि की वृद्धि होती है।
2. यह पूजा व्यक्ति को तपस्या और साधना की शक्ति प्रदान करती है।
3. ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करने से व्यक्ति को सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र
हीं श्री अंबिकायै नमः