कुछ लोग जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश को काॅपी बना-बनाकर व्हाट्सएप पर डाल रहे है। जिनकी काॅपी वशिष्ठ टाइम्स के संपादक को भी व्हाट्सएप के माध्यम से प्राप्त हुआ है। लोगों को गुमराह करने का साधन प्राप्त हो गया है। जो कि भारत सरकार आर.एन.आई. से रजिस्टर्ड है वही पत्रकार कहलाते है। जो पोर्टल है वह व्यवसायी है वह सुप्रीम कोर्ट पत्रकार नहीं मानती क्या ? जो खाली, बकरी, मुर्गा, अण्डा, दारू, ब्राऊन शुगर बेचने वाले को पत्रकार बतलाते है। जो कि नियम विरूद्ध है। वह पत्रकार व संपादक लिखने का अधिकारी नहीं हैं। पोर्टल किसी को संपादक व पत्रकार लिखने का अधिकारी नहीं बनाता। कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गुमराह किया जा रहा है।