बैकुण्ठपुर में 01 फरवरी से 02 फरवरी तक झुमका महोत्सव मनाया गया। जानकार सूत्र बताते है कि, अधिकारियों के परिवारों ने झुमका महोत्सव का पूरा लुप्त उठाया है और आम जनता को पुलिस विभाग के सामने फटकारते देखा गया है। इससे यह पता चलता है कि, झुमका महोत्सव सार्वजनिक नहीं बल्कि अधिकारियों एवं उनके परिवारों के लिए था। चाय से लेकर भोजन तक का व्यवस्था अधिकारियों के परिवारों के लिए किया गया था। यह चर्चा का विषय है कि, मुख्यमंत्री के समक्ष जो तिरंगा झण्डा लगाया गया था। उसमें अशोक चक्र नहीं था। यह अपराध के श्रेणी में आता है। क्या प्रशासन इनके ऊपर कार्यवाही करेगी ? जब मुख्यमंत्री बैकुण्ठपुर से प्रस्थान कर चुके थे तब लोगों ने ध्यान नहीं दिया और कुछ बुिद्धजीवियों ने ध्यान दिया था कि, तिरंगा झण्डा में अशोक चक्र नहीं है। और उसी वक्त जल्दी-जल्दी तिरंगा झण्डा को उतार लिया गया। यह राष्ट्र ध्वज का अपमान नही ंतो क्या है ? इसमें सभी अधिकारियों को संलिप्त माना जाता है। जब महोत्सव खत्म हुआ तो उसके बाद वहां पर गंदगी का अम्बार देखने को मिला। खाली पैसा वसूलने में मदहोश रहा। बार-बार इस समाचार में लिखा जा रहा है कि, कितनी वसूली हुआ और कितना एस.ई.सी.एल. विभाग ने दिया। इसका भी खुलासा होना चाहिए। हाउसबोट का भी उल्लेख होना चाहिए कि, कितने में खरीदी गयी है। यह सभी बिन्दुएं जांच का विषय है। और करोड़ो का अधिकारियों द्वारा घोटाला किया गया है और किस-किस पत्रकारों को किस अधिकारियों ने कितना-कितना पैसा दिया है। यह सभी आगे प्रकाशित किया जायेगा।