जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में गौतम परिवार सुर्खियों पर छायी हुई है। जो स्वास्थ्य विभाग में अपना पैर अंगद जैसा जमाकर बैठे हुए है। लोगों में चर्चाऐं है कि, स्वास्थ्य विभाग में सीएमएचओ गौतम परिवार के एहसान तले बौने हो चुके है। वही लोगों का कहना है कि, जब भ्रष्टाचारी का अपराध सिद्ध होता है तो श्रीमती कलेक्टर महोदया द्वारा शिवम गौतम के ऊपर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश क्यों नहीं दिये जाते ? इससे प्रतीत होता है कि, गौतम परिवार को एक पक्षपात रैवेया अपनाया है। सोचने वाली बात है कि, शिवम गौतम के पिता बैकुण्ठपुर मुख्यालय में ड्रेसर के पद पर है। वही जानकार सूत्र बताते है कि, हाॅस्पिटल में जैसे सीएमएचओ अधिकारी राउंड लगाता है उसी प्रकार वह भी राउंड लगाकर चला जाता है। साथ ही शिवम गौतम के छोटे भाई ड्रेसर की पोस्ट पर किसके आदेश पर नियुक्त हुए ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक और भ्रष्टाचार प्रकाश में आया है। जो कि रामप्यारे गौतम जो नेत्र विभाग में नियुक्त है उनके द्वारा अपने पत्नी को फर्जी कान का विकलांग सर्टिफिकेट बनवाकर पटना कोरिया में x-ray technician की पद पर फर्जी नियुक्ति की गई है। जबकि जिस समय कान का विकलांग सर्टिफिकेट बना था उस समय कान का कोई भी डाॅक्टर नहीं था। आज देखने वाली बात है कि, शिवम के पिता एक करोडो के व्यक्ति है। जिनके पास बताया जाता है कि, अभी हाल ही में जैन मंदिर के पास लगभग 25 लाख का प्लाट बेचे है। और भी लगभग 5-6 प्लाट उनके परिवार में है। यह जांच का विषय है कि, आय से ज्यादा सम्पत्ति कहां से आई ?
जानकार सूत्र बताते है कि, गौतम परिवार स्वास्थ्य विभाग का पूरा-पूरा लाभ उठा रहे है यहां तक कि, खाने से लेकर बैठने तक का समान, दवाईयां एवं सभी समान अपने घर ले जाते है। इतना ही नहीं फर्जी विकलांग सर्टिफिकेट बनावाने में संलिप्त है। और फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए लम्बी रकम ली जाती है। ये सभी बिन्दु जांच का विषय बना हुआ है। यह समाचार आम जनता के विचारधाराओं से प्रकाशित किया जा रहा है।