बैकुण्ठपुर के ब्लाॅक सोनहत के पार्क में पदस्थ महेश टूंडे डिप्टी रेंजर है परंतु रेंजर का पद संभाले हुए है। जबकि डिप्टी रंेजर को यह नहीं मालूम है कि, डिप्टी रेंजर का वित्तीय प्रभार कितने तक का होता है पर इस बात को गुरू घासीदास संचालक भी ध्यान नहीं दे रहे है। सूत्रों के अनुसार मालूम पडा़ है कि, काम के नाम पर फर्जी बिल बुक रखे हुए है उनको भर-भरकर पैसा निकाला जा रहा है जबकि संचालक महोदय को यह भी मालूम है कि, महेश टूंडे के द्वारा आय से ज्यादा सम्पत्ति अर्जित करने का दोषी है। सूत्रों के अनुसार इनके पास में अपने मां के नाम से पत्नी के नाम से और बच्चो के नाम से करोड़ो का सम्पत्ति अर्जित कर लिए है। बैकुण्ठपुर में उनके तीन जगहों पर जमीने है और एक नया कार खरीदे हुए है। सूत्रों से मालूम पड़ा है कि, इनके पास सोना एक किलो के लगभग जेवरात भी है। क्या यह सभी जानकारियां अपने विभाग को दिया गया है ? यह कोई भी जरूरी नहीं है कि, अपने नाम से जमीन खरीदें या कोई गाड़ी खरीदी जाये तो विभाग को जानकारी देना जरूरी है । परंतु परिवार में कोई भी व्यक्ति शासकीय कर्मचारी या उद्योग नहीं है जिससे कि टूंडे जी ने इतनी बड़ी सम्पत्ति अर्जित किया गया है। जानकारी सूत्र बताते है कि, अपने जाति का धौस दिखाता है पूर्व में ऐसा देखा गया है। संचालक महोदय का फिर भी कृप्या दृष्टि के कारण संचालक राष्ट्रीय उद्यान में नव निर्माण का कार्य दिया गया है। वह भी घटिया निर्माण किया जा रहा है। उसमें सीमेंट कम बालू का तादात ज्यादा किया गया है। ऐसे बिल्डिंग का आगे जाकर या तो धरासाई हो जायेगी या बिल्डिंग फट जायेगी व छत भी बरसात में टपकने के स्थिति में आ जायेगी। क्योंकि बिल्डिंग को देखने पर उसकी स्थिति के आधार पर बोला जा सकता है। टूंडे जी कभी अपने रेंज में नहीं रहते जब देखेंगे तो उनके यहां जो चैकीदार व बाबू है उनको लूडो खेलते देखे जा सकते है। यह नहीं मालूम पड़ता कि किस समय अपने क्षेत्र में जाते है या नहीं जाते है। उनके स्टाॅफ से पूछने पर स्टाॅफ द्वारा बताया जाता है कि, उनका आना कोई निश्चित नहीं है। यह मालूम नहीं पड़ता की शासकीय कर्मचारी है या किसी कम्पनी के डायरेक्टर।