पत्रकारिता को ताक पर रखकर लोगों के द्वारा व्यापार चलाया जा रहा है जानकार सूत्र बताते है कि, एस.ई.सी.एल. के क्वार्टरों को नयी पीढ़ी के पत्रकारों द्वारा बिना पैसे के कब्जा कर लिया गया है। जिसमें बिजली और पानी भी फ्री है। ये लोग पत्रकारिता के नाम पर पेट पाल रहे है। वहीं दूरदर्शन चैंनल जो शासकीय है ऐसे भ्रष्ट लोगों को संरक्षण दे रहा है। कुछ पत्रकार ऐसे भी है जो दूसरे राज्य से भाग कर छत्तीसगढ़ में आये है। परंतु अपने को यही का निवासी बताकर रौब दिखाते है, यहां तक की संगठन का दबाव बनाकर अवैध कारोबार भी कर रहे है। क्योंकि पत्रकारिता एक व्यापार व लूटेरों का केन्द्र बन गया है। एक जीता-जागता मिशाल पैतृक रीवा का निवासी जो कुछ सालों में बैकुण्ठपुर का निवासी बन चुका है। जानकार सूत्र बताते है कि, सोमेस पटेल के द्वारा मुख्य प्रधान संरक्षक राव साहब के ऊपर ऐसा दबाव बनाया है कि, सूरजपुर के वन विभाग में लाखों का गमन करने वाला मनीष पटेल के द्वारा दूसरे के नाम से वन प्राणी का पैसा अपने पत्नी के खाते में ट्रांसफर कर लिया है। जो कि 420 का मामला बनना चाहिए। इतना बड़ा घोटाला करने के बावजूद मुख्य प्रधान संरक्षक द्वारा मनीष पटेल को मनेन्द्रगढ़ में किस आधार पर नियुक्ति किया गया ? जबकि यह व्यक्ति इतना बड़ा घोटालेबाज व भ्रष्ट है। और-तो-और अपने पिता के नाम पर 8 प्लाट जमीन पत्रकारिता के नाम पर कर लिया है। जिसमें दो कार जिसकी लगात 50 लाख के लगभग है। और रायपुर में सोमेस पटेल के द्वारा तीसरी मंजिल पर 50 लाख लगभग का मकान खरीदा है। सूत्र बताते है कि, अपने परिवार में डेढ़ किलो का लगभग सोने का जेवरात खरीदा गया है। पत्रकारिता है या लूट का धंधा ? जो व्यक्ति 12वीं पास है फिर भी आई.एस., आई.पी.एस. को गुमराह करने में माहिर है। चर्चा का विषय है कि, बैकुण्ठपुर के आस-पास और भी जमीने खरीदी गयी है जो कि लड़कों के नाम से है। चापलूसी लोग मंत्रियों को अपने घर निवास में ला सकते है तो चापलूसी लोग ही मंत्रियों के साथ हेलीकाॅप्टर में घुम सकते है। वन विभाग को तो सोमेस पटेल ने अपना पैतृक धरोहर ही बना लिया है। इसकी कितनी जमीने है और कहां मकान है इसका फोटा इस समाचार में संलग्न है। क्या प्रशासन इन पर कोई कार्यवाही करेगी ? आगे की जानकारी टीम द्वारा जारी रहेगी।