जीते जी कोई ना पूछा, मरने के बाद कहते हैं सबसे ऊंचा
जन संघ के संस्थापक स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जो भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक थे, जिनका पूर्व चुनाव चिन्ह दीपक था, फिर बाद में उन्होने अपने पार्टी का चुनाव चिन्ह बदलकर कमल का फुल रखा, स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी एक गरीब परिवार से थेे उनकी जन्म भुमी शिकोहाबाद उत्तर प्रदेश बटेश्वर में थी, उनका बचपन से ही राजनीति में बेहद लगाव था, उन्होने अपना जीवन जन सेवा में ही व्यतीत किया, वे अविवाहित थे, पर लोगों के द्वारा उँगलियाँ उठाई जाती थीं, उनकी एक रूचि यह भी था की वे कविता लिखने व सुनाने में माहिर थे, और वे कविता में ही अपना पूरा भाषण दे डालते थे, पर बड़ी विडम्बना की बात है की ऊंचे पद पर रहने के बाद भी अपने भाई भतीजों को कोई भी लाभ नहीं दिया, और बड़े ही दुःख की बात है कि जब अटल जी 10 साल तक बिमार बिस्तर पर रहे तब उन्हे पार्टी का कोई भी नेता नहीं पूछता था और न ही देखने जाता था, लेकिन चुनाव की नजदीकी समय को देखते हुए प्रधानमंत्री उनके शव यात्रा में पैदल भी चले, इसी प्रकार कभी भी इससे पहले जब अटल जी जीवित थे तब प्रधानमंत्री व पार्टी के मुख्यमंत्री द्वारा उनके भाषणों में अटल जी का जिक्र नहीं किया जाता था, और नही किसी बैनर में उनका फोटो लगाया जाता था, जबकी वे पार्टी के संस्थापक थे और समाज में उनका नाम हर व्यक्ति सम्मान से लेता था, लेकिन उनका निधन हो जाने के बाद शहरों के नाम भी उनके नाम से रखे गए हैं, और पोस्टरों व बैनरों पर उनकी बड़ी सी फोटो लगाई जाती है और नेतागण मंच पर खड़े होकर अपने पूरे भाषण में बड़े सम्मान से अटल जी का जिक्र करते हैं। ऐसा क्यों ? इसका मतलब यही होता है, की जीते जी कोई ना पूछा, मरने के बाद कहते हैं सबसे ऊंचा।