नव युवा पीढ़ी के पत्रकारों का बल्ले बल्ले
भारत में समाज के चैथे स्तंभ मीडिया को बदनाम कर रहे नयी युवा पीढ़ी पत्रकार, जिस पत्रकार के परिवार में अपराधी प्रवृŸिा के लोग हों व जुआ सट्टा गांजा इत्यादी के व्यपारी एवं ठेकेदार हों, उन्हे पत्रकारता करने की अधिकार नहीं देनी चाहिए, ऐसे भी लोग हैं जिनके पिता सरकारी नौकरी करते हैं, पत्नी सरकारी नौकरी करती है, भाई सरकारी नौकरी करता है, वह व्यक्ति अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए पत्रकारता का प्रतिनिधि कार्ड लेकर, निवासी रहते हैं दुसरे राज्य के और दुसरे राज्य में वसुली करते हैं, जैसे राष्ट्रीय स्तर के चैनल वाले जो एंकर होते हैं उनकी शान शौकत उनके चैनल वाले संचालक व संपादक से बढ़कर होती है, सोंचने की बात यह है की, यह पैसा आता कहाँ से है, और वसुली कितनी होती है, उनके पास में करोड़ो के बंगले होते हैं, यह सब अधिकारी व नेताओं का दोहन करने वाले सबसे बड़े पत्रकारों की लिस्ट में जुट बनाकर वसुली करते हैं, जिससे समाज को भ्रमित करके अपना व्यापार मीडिया के नाम पर चला रहे हैं, जिसमें उनके परिवार में मीडिया के नाम पर ठेका व अपना व्यापार छोड़कर पत्रकारता में लिप्त हो चुके है, और गलत तरीके से अपने फायदे के लिए इस्तमाल कर रही हैं, इससे सही और इमानदार पत्रकारों की इज्जत, सम्मान कम हो जा रही है, नयी पीढ़ी के पत्रकार जो की कलेक्टर व अन्य अधिकारी व नेताओ के बिच में बैठकर अपने आप को भगवान समझने लगते हैं, जैसे आजकल अच्छे भले नेताओं की छवि युवा नेता अपने जोश में बिगाड़ रहे हैं, ठीक उसी प्रकार नयी पीढी के पैसा वसुलने वाले पत्रकारों का भी हाल हो चुका है, जिससे इमानदार व समाज सेवा करने वाले पत्रकारों की छवि बिगड़ रही हैं, और प्रशासन भी अपराधी किस्म के व वसुली वाले पत्रकारों को पसन्द करती है, क्योंकि ऐसे ही लोग प्रशासन की चापलुसी कर सकते हैं, समाचार पत्र के संपादक व चैनल के संपादक ऐसे लोगों को प्रतिनिधि कार्ड न दें, और सरकार द्वारा ऐसे लोगों पर कड़ी रूख के साथ पेश आए और उनकी संपती का जांच किया जाए।