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✍ 31 मई ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशमी या गंगा दशहरा कहा जाता है…….

गंगा दशहरा पर्व

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गंगा दशहरा यह त्यौहार गंगा नदी के तट पर दस दिवसीय गंगा दशहरा पर्व के रुप में मनाया जाता है। ये 10 दिन रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाते है और पूजा-पाठ आदि करते है। साथ ही जरुरतमंदो को दान-पुण्य कर लाभ प्राप्त करते है। माना जाता है कि ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि को देवनदी गंगा धरती पर आईं थी। इस कारण इस तिथि पर गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। गंगा दशहरा पर्व के दौरान उन दस दिनों में रोज गंगा स्नान का महत्व है। लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं हो पाए तो अपने आस-पास किसी नदी या तालाब में भी स्नान कर सकते है। और अगर ऐसा भी न हो पाए तो सुबह स्नान करने से पहले पानी में गंगा जल की कुछ बूंदे डालकर नीचे लिखा मंत्र बोलकर स्नान करें ।

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।

नर्मदे सिंधु कावेरी जलsस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

नहाते समय इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को पवित्र नदियों में नहाने जैसा पुण्य मिलता है।  साथ ही स्नान के दौरान ओम: शिवाय मंत्र का जाप भी मन ही मन करना चाहिए। इस स्नान का फल गंगा स्नान के समान ही बताया गया है। धर्म ग्रंथो के मुताबिक जिस दिन गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थीं। उस दिन ऐसे दस शुभ योग थे जिससे मनुष्य के दस पापों का नाश होता है इसी कारण से इस दिन को दशहरा कहा जाता है।

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