दल्लीराजहरा । हर साल पितृ पक्ष के समापन के अगले दिन से नवरात्र शुरू हो जाता है और घट स्थापना के साथ 9 दिनों तक नवरात्र की पूजा होती है। पितृ अमावस्या के अगले दिन से प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्र का आरंभ हो जाता है। इस बार ऐसा नहीं होगा। इस बार श्राद्घ पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा, जिसे पुरुषोत्तम मास अथवा मलमास भी कहा जाता है।
अधिकमास लगने के करण नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जाएगा। अश्विन मास में मलमास लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा आरंभ होना। ऐसा संयोग करीब 165 साल बाद होगा। इस साल दो आश्विन मास होंगे। आश्विन मास में श्राद्घ और नवरात्रि, दशहरा जैसे त्योहार होते हैं।
अधिकमास के कारण दशहरा 26 अक्टूबर और दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी। इस साल पितृपक्ष 1 सितंबर से शुरू हो गया है और यह 17 सितंबर तक चलेगा। सभी श्राद्घ कर्मकांड इस दौरान किए जाएंगे और पितरों को तर्पण भी किया जाएगा। लोग अपने-अपने पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्ना दान इस दौरान करते हैं, ताकि पितरों का आशीर्वाद उन पर बना रहे।