गणपति को सभी देवों में प्रथम पूजनीय कहा गया है. भगवान गणपति का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन हुआ था. इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. इस बार गणेश चतुर्थी की तिथि 21 अगस्त को रात 11:02 बजे से शुरू होकर 22 अगस्त को शाम 07:57 बजे तक रहेगी. इसलिए गणेश चतुर्थी का त्योहार 22 अगस्त को शनिवार के दिन मनाया जा रहा है
गणेश चतुर्थी को बहुत पवित्र और फलदायी त्योहार माना जाता है. 22 अगस्त को पूरे देश में गणपति उत्सव शुरू हो जाएगा जो लगभग दस दिनों तक चलेगा. इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति का विसर्जन किया जाएगा है. इस बार गणेश चतुर्थी के दिन एक खास संयोग बन रहा है जिससे इस दिन का महत्व और बढ़ गया है. ज्योतिर्विद भावना शर्मा से जानते हैं कि गणेश चतुर्थी पर बन रहे इस महासंयोग के बारे में.
इस बार गणेश चतुर्थी के दिन हस्त नक्षत्र का योग बन रहा है. इस नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा है. इस योग के दौरान पृथ्वी तत्व की राशि यानी कन्या राशि रहेगी. माना जा रहा है कि इस अद्भुत संयोग और गणपति की कृपा से पृथ्वी पर चल रहे सभी संकट खत्म हो जाएंगे. महाराष्ट्र में यह पर्व गणेशोत्सव के तौर पर मनाया जाता है. दस दिनों तक गणेश जी को भव्य रूप से सजाकर उनकी पूजा की जाती है.
गणपति जी की पूजा बेहद सरल मानी जाती है. इस दिन मिट्टी के गणपति विराजमान किए जाते हैं. इसके पीछे मान्यता है कि हमारा शरीर पंचतत्व से बना है और पंचतत्व में ही विलीन हो जाता है. इसलिए दस दिनों तक गणपति की पूजा करने के बाद उन्हें जल में विसर्जित कर दिया जाता है.
मिट्टी के गणपति में हरे, लाल और पीले रंग का इस्तेमाल जरूर होना चाहिए क्योंकि इन रंगों को शुभता का प्रतीक माना जाता है. इन रंगों के प्रयोग से जीवन में खुशहाली आती है.
इस दिन गणपति को मोदक जरूर अर्पित करें. जितनी आपकी उम्र है उतने मोदक आप गणेश जी को अर्पित करें और उसके बाद अपनी मनोकामना याद करते हुए मोदक को गरीबों में बांट दें. इससे आपकी मनोकामना पूरी हो जाएगी
इस दिन गणेश जी को दूर्वा जरूर अर्पित करें. गणेश जी बुद्धि के देवता माने जाते हैं. इस दिन छात्रों को पारदर्शी कलम गणेश दी को चढ़ानी चाहिए. इससे आपके तरक्की के रास्ते खुल जाएंगे