Home पूजा-पाठ ✍ मंदिरों में उमड़े भोले भक्त नियमों के साथ कर रहे पूजा…….

✍ मंदिरों में उमड़े भोले भक्त नियमों के साथ कर रहे पूजा…….

इस बार सावन महीने की खास बात ये है कि इसकी शुरुआत और अंत दोनों ही दिन सोमवार है

आज सावन का पहला सोमवार है. इस बार सावन महीने की खास बात ये है कि इसकी शुरुआत और अंत दोनों ही दिन सोमवार है. इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. सावन महीने में भगवान शिव की पूजा होती है और इस दौरान सोमवार के दिन का महत्व सबसे ज्यादा होता है क्योंकि यह दिन भगवान भोले नाथ का माना जाता है. इस दिन भोले शंकर की विशेष पूजा की जाती है. आज भी काशी से उज्जैन तक मंदिरों में सुबह से ही भोले के भक्तों की लाइन लगी हुई है.

आज सावन का पहला सोमवार है. इस बार सावन महीने की खास बात ये है कि इसकी शुरुआत और अंत दोनों ही दिन सोमवार है. इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. सावन महीने में भगवान शिव की पूजा होती है और इस दौरान सोमवार के दिन का महत्व सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि यह दिन भगवान भोले नाथ का माना जाता है. इस दिन भोले शंकर की विशेष पूजा की जाती है. आज भी काशी से उज्जैन तक मंदिरों में सुबह से ही भोले के भक्तों की लाइन लगी हुई है.

सावन के सोमवार का बहुत महत्व है. शिव पुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति इस महीने में सोमवार का व्रत करता है, भगवान शिव उसकी इच्छाएं पूरी कर देते हैं. मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की कृपा से विवाह संबंधित सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन का महीना भगवान शिव और विष्णु का आशीर्वाद लेकर आता है. माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे श्रावण मास में कठोरतप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था.

हिंदू मान्यता के अनुसार, सोमवार का दिन शिवजी की पूजा के लिए खास माना जाता है. सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार के दिन शिवलिंग की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है. बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की पूजा करना और उन्हें जल चढ़ाना बहुत फलदायी माना जाता है. कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं. शिव पुराण के अनुसार जो भी भक्त सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखते हैं, भोलेनाथ उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

सावन के महीने में श्रीकाशी विश्वनाथ में हर वर्ष भक्तों की भारी भीड़ लगती है. लेकिन इस वर्ष कोरोना के मद्दे नजर यहां कुछ नियम बनाए गए हैं. यहां सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की अनिवार्यता के साथ मंदिर में एक बार में केवल पांच श्रद्धालु ही प्रवेश कर सकते हैं. पूरे महीने मंदिर को सैनिटाइज करने का काम चलता रहेगा. सोमवार के दिन सिर्फ 10-30 हजार श्रद्धालुओं के ही दर्शन करने का मौका मिल सकेगा.

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