5 जुलाई को साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगा है. ज्योतिष शास्त्र की मानें तो हर ग्रहण अपने साथ शुभ या अशुभ संकेत लेकर आता है. लेकिन इस बार ग्रहण की तिकड़ी संकट का संकेत दे रही है. एक ही महीने में सूर्य ग्रहण से पहले और बाद लगे चंद्र ग्रहण को ज्योतिष के जानकार अच्छा नहीं मान रहे हैं. आज के चंद्र ग्रहण को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं.
5 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण एक महीने के अंदर लगने वाला तीसरा ग्रहण है. इससे पहले 5 जून को चंद्र ग्रहण और 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था. ग्रहों की चाल पढ़ने वाले ज्योतिष के जानकार किसी संकट की आशंका ज़ाहिर कर रहे हैं. माना जा रहा है कि इस चंद्र ग्रहण के प्रभाव से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है.
जानकारों के मुताबिक 58 वर्ष पहले साल 1962 में भी ग्रहों का वैसा ही योग था, जैसा इस बार बन रहा है. साल 1962 में भी एक ही महीने में लगातार तीन ग्रहण लगे थे.
इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन (5 जुलाई) को लगा चंद्र ग्रहण सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर शुरू हुआ और 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो गया. चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटे 43 मिनट यानी करीब 3 घंटे रही. ये उपछाया चंद्र ग्रहण रहा, जो भारत में दिखाई नहीं दिया और ना ही इसका सूतक माना गया. ज्योतिषियों के मुताबिक ये ग्रहण धनु राशि और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में लगा है. धनु राशि आक्रामकता की राशि है. इस ग्रहण की वजह से देश-दुनिया में युद्ध और विवादों जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं.