भोपाल । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान तमाम चुनौतियों के बावजूद सवा महीने में एक करोड़ 20 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं का समर्थन मूल्य पर उपार्जन किया गया। यह गेहूं 15 लाख 29 हजार किसानों ने 15 अप्रैल के बाद बेचा। इनमें से 13 लाख 80 हजार छोटे, मध्यम एवं सीमांत किसान हैं। पहली बार प्रदेश में इतना उपार्जन हुआ।
मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में बताया कि पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लघु, मध्यम एवं सीमांत किसानों ने अपना गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचा। धनाभाव एवं भंडारण सुविधा न होने से अमूमन ये किसान अपनी उपज कम दामों पर खुले बाजार में बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं। लॉकडाउन के समय उनके लिए वह सहारा भी नहीं था। ऐसे में सरकार ने उनकी परेशानी को समझा और लॉकडाउन के बावजूद प्रदेश में गेहूं उपार्जन शुरू किया गया।
मुख्यमंत्री ने उपार्जन कार्य की सराहना भी की है। 85 प्रतिशत गेहूं का परिवहन एवं सुरक्षित भंडारण किया प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उपार्जन कार्य प्रारंभ करना तथा शारीरिक दूरी एवं अन्य सभी सावधानियों के साथ गेहूं उपार्जन बड़ी चुनौती थी, लेकिन प्रशासकीय अमले ने दिन-रात मेहनत कर इसे आसान बनाया। खरीदे गए गेहूं की 85 प्रतिशत मात्रा का परिवहन एवं सुरक्षित भंडारण भी किया जा चुका है।
किसानों को 16 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। शेष भुगतान जल्दी किया जाएगा। पिछले साल 8.62 लाख किसानों ने बेचा था गेहूं उन्होंने बताया कि पिछले साल कुल 8 लाख 62 हजार लघु, मध्यम एवं सीमांत किसानों ने अपनी उपज बेची थी। इनमें से 2 लाख 12 हजार सीमांत किसानों ने, 3 लाख 24 हजार छोटे किसानों ने तथा 3 लाख 26 हजार मध्यम किसानों ने अपना गेहूं बेचा।
इनके अलावा 5 से 10 हेक्टेयर वाले 90 हजार तथा 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले 14 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपना गेहूं बेचा। इस वर्ष लघु, सीमांत एवं मध्यम किसानों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष गेहूं बेचने वाले सीमांत किसानों का प्रतिशत 34 था, जो इस साल 75 हो गया है। छोटे किसानों की संख्या भी 49 से बढ़कर 83 हो गई, जबकि मध्यम किसानों की संख्या 59 से 79 फीसदी तक जा पहुंची।