अंबिकापुर। नोबल कोरोना वायरस से बचाव के लिए जहां एक ओर मौका परस्त लोग महंगे दामों पर मास्क की दुकानदारी करने में लगे थे, वही केंद्रीय जेल अंबिकापुर के 10 बंदी अपने सहयोगियों के साथ सूती कपड़े का मास्क तैयार करने में लगे हैं। इनके द्वारा अब तक 81 सौ मास्क तैयार किया जा चुका है। पहले चरण में सर्किल जेल और केंद्रीय जेल अंबिकापुर के बंदियों, कैदियों व कर्मचारियों के लिए तीन हजार मास्क अतिरिक्त महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं, छत्तीसगढ़ शासन रायपुर संजय पिल्ले के निर्देशन में जेल अधीक्षक राजेंद्र गायकवाड के मार्गदर्शन में तैयार करवाया गया।
जेल में बंदियों के द्वारा विगत एक सप्ताह से यह कार्य उप अधीक्षक उद्योग मदनलाल ध्रुव, वरिष्ठ बढ़ई प्रशिक्षक प्रभाकर महाराणा व प्रहरी अविनाश दीपक एक्का के देखरेख में चल रहा है। कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित कैदियों के द्वारा मास्क बनाने के कार्य में ली जा रही रुचि को देखते हुए जेल प्रबंधन के द्वारा आवश्यक सामान व संसाधन उपलब्ध करा दिए गए हैं।
जेल में तैयार किए गए मास्क में शासकीय विभागों को अब तक 33 सौ एवं निजी संस्थाओं को 1800 मास्क तैयार कर प्रदाय किया गया है। मास्क बनाने का कार्य सुचारू रूप से सिलाई-बुनाई उद्योग के बंदी नंदलाल, कमलेश्वर पैकरा, विफल, बंधन, जगदीश, अशोक साहू, प्यारेलाल, राधे यादव, अरूण अग्रवाल, अशोक सिंह एवं उनके सहयोगी बंदी कर रहे है। जेल अधीक्षक ने बताया कि बंदियो के द्वारा सिले गए मास्क को सरकारी कार्यालय, अस्पतालों को मात्र रुपये में और निजी संस्थानों, समूहों को प्रति नग साढ़े पांच रुपये की दर से अग्रिम लिखित आदेश देने पर मास्क तैयार करके जेल कैंटीन, एंपोरियम के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है।