इंदौर . एयरपोर्ट रोड की जिस सड़क पर मंगलवार रात नगर भोज में लाखों लोगों ने बैठकर भोजन किया, वहां बुधवार सुबह इतनी सफाई हो चुकी थी लगा ही नहीं कि यहां कोई आयोजन हुआ था। नगर निगम के 150 से ज्यादा सफाईकर्मियों रात 1 बजे से सुबह 7 बजे तक सात किलोमीटर की इस सड़क पर सफाई का ऐसा मैनेजमेंट किया कि पूरा इलाके में रोज से ज्यादा सफाई नजर आई। इस आयोजन के बाद एक बार फिर शहर के लोगों व निगम की टीम ने साबित कर दिया कि इंदौर ऐसे ही नहीं सफाई में सिरमौर बना हुआ है। यहां के लोग पूरे जज्बे के साथ नंबर वन बने रहने के लिए प्रयत्न करते हैं।
बड़ा गणपति चौराहे से पितृ पर्वत तक सात किलोमीटर की सड़क पर नगर भोज के बाद सफाई व्यवस्था जोन नंबर 1, 2 व 16 के सफाई कर्मियों के जिम्मे थी। जोन 1 के अंतर्गत बड़ा गणपति से एरोड्रम थाने तक का एक ओर का हिस्सा और बांठिया हॉस्पिटल से अंकित होटल तक का एक ओर का हिस्सा आता है। इस हिस्से में पांच ओपन डिपर वाहन पत्तलें एकत्र करने के लिए लगाए गए। इस हिस्से में भोजन करने वाले लोग खुद ही पत्तलें इन वाहनों में डाल रहे थे। दो गाड़ियां भरने के बाद उन्हें संगम नगर स्थित कचरा ट्रांसफर स्टेशन भेजकर खाली कराया गया। सफाईकर्मी इस हिस्से में बोरियां लेकर घूम रहे थे और डिवाइडर व सड़क किनारे गिरी पत्तलें उठा रहे थे। जोन नंबर 2 में बड़ा गणपति से बांठिया हॉस्पिटल तक एक ओर का हिस्सा आता है।
इस हिस्से में तीन ओपन डिपर लगे थे। जोन नंबर 16 में अंकित होटल से एयरपोर्ट थाने की एक ओर की सड़क और एयरपोर्ट थाने से पितृ पर्वत तक दोनों ओर की सड़क का हिस्सा आता है। इस हिस्से में बड़ी संख्या में लोगों ने भोजन किया। इस वजह से निगम के 19 वाहन (सात ओपन डिपर व 12 डोर टू डोर कचरा उठाने वाले वाहन) यहां लगाए गए थे। इन्हें खाली करने के लिए तीन बार सिरपुर कचरा ट्रांसफर स्टेशन भेजा गया। ये वाहन रात 1 बजे तक मैदान में थे। इसके बाद तीन डिपर वाहन अलसुबह तक सफाई कार्य में लगे रहे। इस हिस्से में नौ निगमकर्मी बोरियां लेकर सड़क व आसपास फैला कचरा उठा रहे थे।
नगर निगम के अपर आयुक्त रजनीश कसेरा के मुताबिक नगर भोज खत्म होने के बाद रात 1 बजे निगम की दूसरी टीम सौ कर्मचारियों के साथ सड़क पर उतरी और रोड पर सफाई शुरू की। इनके साथ दो रोड स्वीपिंग मशीनें भी लगाई गईं। सफाई सुबह 6 बजे तक चली।
व्यवस्था संभाल रहे राजेंद्र राठौर ने बताया कि नगर भोज के बाद करीब दो हजार किलो नुक्ती बच गई। यह नुक्ती और पूड़ियां शहरआश्रमों में भेजी गईं, जबकि पितृ पर्वत पर भी दिनभर नुक्ती प्रसाद का वितरण किया गया। आयोजन समिति के राजा कोठारी ने बताया कि आवश्यकतानुसार एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट पर भोजन ले जाने का क्रम भी चला। जिस पॉइंट पर लोगों की संख्या ज्यादा थी, आवश्यकता पड़ने पर वहां पूड़िया और सब्जी भेजी जाती रही।