इंदौर । सांवेर जेल के बंद पड़े निर्माण को लेकर हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार जनता का पैसा बरबाद कर रही है। 17 करोड़ 91 लाख रुपए खर्च करने के बाद अचानक प्रोजेक्ट रोक दिया। जो निर्माण हुआ था वह भी अब जर्जर हो गया है। यह बहुत गंभीर मामला है। प्रमुख सचिव (गृह) दो सप्ताह में इस संबंध में शपथ पत्र पर विस्तृत जानकारी दें। ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होना पड़ेगा।
हाई कोर्ट ने यह आदेश सांवेर जेल के बंद पड़े काम को लेकर चल रही जनहित याचिका में दिए हैं। याचिका एडवोकेट अभिजीत यादव ने दायर की है। मंगलवार 18 फरवरी को सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था जो शुक्रवार को जारी हुआ।
दो पेज के आदेश में कोर्ट ने कहा है कि यह बहुत गंभीर है कि करोड़ों खर्च करने के बाद सरकार ने अचानक जेल प्रोजेक्ट बंद कर दिया। यह भी पता नहीं कि आखिर यह फैसला क्यों लिया गया था। प्रमुख सचिव कैबिनेट के प्रस्ताव स्वीकृत करने, एमओयू साइन होने, निर्माण होने और अचानक काम बंद करने के फैसले के संबंध में विस्तृत जवाब शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत करें। दो सप्ताह में शपथ पत्र नहीं आया तो प्रमुख सचिव को खुद कोर्ट में उपस्थित होना पड़ेगा।
याचिका में हाउसिंग बोर्ड का जवाब आ चुका है। बोर्ड ने कोर्ट को बताया कि कैबिनेट ने 2002 में सेंट्रल जेल निर्माण को स्वीकृति दी थी। 25 अक्टूबर 2002 को इस संबंध में एमओयू भी हो गया। जेल निर्माण पर 33 करोड़ 60 लाख की लागत अनुमानित थी।
निर्माण पर 17 करोड़ 91 लाख खर्च हो चुके हैं। इसमें कंपाउंडिंग वॉल, स्टाफ क्वार्टर, प्रशासनिक और अन्य बिल्डिंगें, एचआईजी डुप्लेक्स का निर्माण किया गया था। 13 अक्टूबर 2008 को अचानक आदेश जारी कर शासन ने इस प्रोजेक्ट को रुकवा दिया था।