भोपाल। मध्य प्रदेश में पासपोर्ट कार्यालय के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब विदेश जाने वालों को पासपोर्ट के लिए महीनों का इंतजार नहीं करना पड़ रहा। इस कारण लोग अब तत्काल श्रेणी में आवेदन करने से भी बचने लगे हैं। विदेश मंत्रालय अपनी बदली कार्यशैली के चलते हर साल प्रदेश में सवा दो लाख से ज्यादा पासपोर्ट बनवा रहा है। आवेदकों की वेटिंग लिस्ट खत्म हो चुकी है, औसतन 10-12 दिन में पासपोर्ट मिलने लगे हैं। विदेश मंत्रालय ने प्रदेश के 17 शहरों में पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीओपीएसके) खोल दिए हैं, जहां आवेदन जमा होते हैं। इसलिए अब भोपाल के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में भीड़ नजर नहीं आती। इनमें से 10 केंद्रों पर पासपोर्ट आवेदनों की ऑनलाइन प्रोसेसिंग होने से प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ जाती है। उज्जैन, धार, छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़ और रीवा केंद्रों को भी मार्च में ऑनलाइन करने की तैयारी है। अभी यहां से आवेदनों की फाइल भोपाल भेजी जाती है, जिससे ज्यादा समय लग रहा है।
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी रश्मि बघेल ने बताया कि आवेदक की पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट (पीवीआर) मिलने के बाद उसी दिन पासपोर्ट प्रिंटिंग में भेज दिया जाता है। इसके एक दिन बाद ही वह स्पीड पोस्ट के जरिए आवेदक के पते पर चला जाता है। उन्होंने बताया कि अभी औसत रूप से देखें तो भोपाल में 12 दिन, इंदौर 10, जबलपुर 14 और ग्वालियर में 10-12 दिन का समय लग रहा है। रीवा और बैतूल जैसे जिलों में 2-3 दिन का ज्यादा समय लग रहा है। आदिवासी बहुल आलीराजपुर जैसे जिले के आवेदनों में भी औसतन 10 दिन का समय लग रहा है।
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने बताया कि पुलिस मुख्यालय ने जबसे पीवीआर ऑनलाइन भेजने की व्यवस्था कर दी है, उससे पासपोर्ट निर्माण की गति में काफी तेजी आ गई है। यही कारण है कि सामान्य श्रेणी के आवेदन भी अब तत्काल की गति से बनने लगे हैं। इसलिए तत्काल श्रेणी में आवेदनों की संख्या बहुत कम रह गई है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 के दौरान प्रदेश में करीब 2.23 लाख पासपोर्ट बने, इनमें एक जनवरी से 30 जून तक एक लाख पासपोर्ट बनाए गए।