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सूरज को अगरबत्ती दिखाने के जैसा प्रयास कर रहा हूँ।………..

हमारे हिन्दुस्तान में एक ऐसे महान ऋषिमुनि अवतार लिए थे जिनकी महिमा अपरमपार थी, और आयु 9 सौ वर्ष थी, जिनको लोग देवराहा बाबा के नाम से जानते हैं, और वे किसी स्त्री की कोख से जन्म नहीं लिए थे, जानकार सुत्रों से जानकारी प्राप्त होती है की देवराहा बाबा की उत्पत्ति जल में से हुई थी, और ऐसा माना जाता है की रीवा रियासत में एक घने जंगल में एक गुफा में बाबा नें 200 वर्ष तप किया था उसके उपरान्त बलिया के समीप देवराहा गाँव में उनके द्वारा फूस की कुटिया बनाई गई थी, उसी समय से उस जंगल का नाम देवराहा पड़ा, बाबा का रहन सहन ऐसा था की बाबा अपने आहार में कभी भी अन्न का सेवन नहीं किया व कभी भी वस्त्र धारण नहीं किया और बाबा का सरयूपारी नदी के किनारे देवराहा गाँव में आश्रम था ज्यादातर बाबा गंगा यमूना के ही किनारे अपना रहने का स्थान पसंद करते थे बाबा वृन्दावन में तटी स्थान आश्रम के पास यमुना के उस पार निवास करते थे। उनके दर्शनों के लिए हमारे हिन्दुस्तान के बड़े-बड़े राजनेता जैसे – लााबहादुर शास्त्री, जवाहरलाल नेहरू, बाबुजगजीवनराम, गुलजारीलालनंदा, इंदिरा गांधी, अटलबिहारी बाजपेयी जैसे बड़े-बडे दिग्गज नेता आर्शीवाद लेने जाते थे। पूर्व में काॅग्रंेस का चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी था उसके बाद काॅग्रंेस नें फिर परिर्वतन किया तो चुनाव चिन्ह गाय बछड़ा हुआ, गाय बछडे के चुनाव चिन्ह पर दक्षिण भारत से श्रीमती इंदरा गांधी चुनाव लड़ी उसी उपरान्त चुनाव हारने के पश्चात वह देवराहा बाबा के पास वृन्दावन में दर्शन करने गई दर्शन के उपरान्त बाबा ने हाथ उठा के आर्शीवाद दिया उसी समय से श्रीमती इंदरा गांधी ने उसी आर्शीवाद का चुनाव चिन्ह पंजा छाप बनाया। इंदिरा गांधी के मृत्यु के बाद राजीव गांधी को प्रधान मंत्री बनाया गया प्रधान मंत्री बनने के बाद उन्होने अपनी इच्छा जाहिर किया की मैं भी देवराहा बाबा के दर्शन करने जाउंगा दिल्ली से वृन्दावन प्रशासन के सूचनार्थ किया गया प्रशासन नें अपनी पूरी तैयारी की उसी दौरान बाबा के कुटिया के पास एक बबूल का पेड़ था उस पेड़ को अधिकारियों ने काटने का निर्देश दे दिया था उसी समय बाबा ने पेड़ काटने पर रोक लगाया और कहा ये मेरा साथी है इससे मैं बात करता हूँ इस बात को अधीकारियों द्वारा न मानने पर बाबा नें कहा की तुम्हारे प्रधान मंत्री अब नहीं आएंगे इतना बोलने पर प्रधान मंत्री का आना कैन्सिल हो गया। बाबा का एक चमत्कार ऐसा भी था की गुरू पूर्णिमा के दिन बाबा के भक्तों ने खीर मालपुआ और सब्जी का भण्डारा चलाया था उस समय घी कम पड़ गया था तो बाबा ने 7 टीना यमुना का जल मंगा कर पुआ सेकवाए, घी आ जाने के पश्चात बाबा ने उस घी को यमूना जी में कर्ज के रूप में अदा कर दिया गया। बाबा नें महेन्द्र प्रताप सिंह देव से कहा की मैं अपना शरीर को परिर्वतन करूंगा उनके द्वारा 11 बार ओम् नमो भगवते वासुदेवाय कृष्णाय वासुदेवाय गोविन्दाय नमो नमः का स्मरण किया तो ब्रम्हांाण खुल गया।

देवराहा बाबा एवं शिष्य महेन्द्र प्रताप सिंह देव

हमारे कोरिया रियासत के महेन्द्र प्रताप सिंह देव जिनको लोग भगत जी और सझले सरकार के नाम से जानते थे, जिनके नाम से महेन्द्रगढ़ की नीव रखी गई थी जो आज मनेन्द्रगढ़ के नाम से जाना जाता है। कोरिया कुमार के बड़े भाई थे, वे देवराहा बाबा के परम भक्त थे देवरीया बाबा महेन्द्र के नाम से पुकारते थे, और बड़े आश्चर्य वाली बात है की एक क्षत्रिय परिवार में जन्मे उसके बाद भी तामसी भोजन को स्वीकार नहीं करते थे ऐसे बिरले विचारधारा के व्यक्ति बहुत कम मिलते हैं, बाबा का महेन्द्र प्रताप सिंह देव को आर्शीवाद प्राप्त था की उनके परिवार में एक न एक राजनेता व कोरिया रियासत के जनता को गले से लगाने का आर्शीवाद प्राप्त है आज देवरीया बाबा के आर्शीवाद से पूरे राज परिवार मे अंबिका सिंह के अन्दर राज परिवार का गुण सबसे अत्यधिक है अंबिका ंिसंहदेव भगत जी की सुपुत्री हैं जिनका विवाह 20 अप्रैल 1996 अक्षय तृतीया के दिन श्री अमिताभ घेाष जी से पुरे राज परिवार की सहमती व हिन्दु रीती रिवाजों से सम्पन्न हुआ था। जिनके विवाह में कोरिया जिले के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे, जिस समय कोरिया कुमार का स्वास्थ खराब चल रहा था उन्ही दिनों में कोरिया कुमार के द्वारा अपनी भतीजी को बुलाकर अपने पूर्वजों की परम्परा को बरकरार रखनें के लिए कहा गया। उन्होने अपने चाचा जी की बातों को सुनकर परम्परा को स्वीकार करते हुए कोरिया की जनता को गले से लगाया है ऐसे गुणवक्ता प्रवृत्ति के जो अपनें बच्चों व अपनें पति की सहमती से कोरिया जिले की जनता के साथ कदम पे कदम मिलाकर चलनें वाले लाखों में एक हैं जिनका प्रमाण कोरिया कुमार स्वयं थे 6 बार मंत्री बनने के पश्चात उन्होने अपने लिए कुछ नहीं किया, कुमार साहब का मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री व मंत्रियों द्वारा चाहे वह किसी भी पार्टी के होें उनको सभी लोग सम्मान देते थे। जिस प्रकार कोरिया राज परिवार अपने समुचे कोरिया को अपने परिवार की तरह सम्भाल कर रखा है आज उसी परिवार की बेटी गली गली घुमकर अपने परम्पराओं को निभा रही है।

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