अंबिकापुर। झारखंड सरहद से लगे बलरामपुर जिले का चांदो इलाका एक दौर में नक्सल आतंक से जूझ रहा था। अब अमन.चैन के साथ विकास को दी जा रही गति के बीच शिक्षा को लेकर अच्छा रुझान सामने आ रहा है। चांदो के कंदरी गांव में रहने वाले किसान का बेटा डॉक्टर बना तो कृषक पिता ने कलेक्टर से आग्रह किया कि गांव के लोगों की सेवा का मौका उनके पुत्र को मिलना चाहिए। पिता के आग्रह को कलेक्टर भी ठुकरा न सके और उनके निर्देश पर चांदो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उसकी पदस्थापना कर दी गई है।
खपरपोश मकान में रहकर गुजर.बसर करने वाले कृषक पिता की हैसियत ऐसी नहीं थी कि वह अपने बेटे को उच्च शिक्षा दिला इस मुकाम तक पहुंचा सके लेकिन गांव के इस होनहार युवक ने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मेहनत करने में कसर नहीं छोड़ी और एमबीबीएस की डिग्री हासिल करके गांव ही नहीं पूरे जिले का मान बढ़ाया।
कंदरी निवासी विजय कुमार मिंज का छोटा पुत्र शांति नंदन मिंज की इच्छा डॉक्टर बनकर गांव के लोगों की सेवा करने की थी। वह 25 वर्ष की उम्र में एमबीबीएस डॉक्टर बन चुका है। इसके पहले शांति नंदन सीजी पीएमटी में क्वालीफाई किया था परंतु आर्थिक स्थिति कमजोर होने और दिन.रात माता.पिता के द्वारा खेतों में की जाने वाली मेहनत को देखते हुए वह एमबीबीएस में दाखिला नहीं ले पाया।
कक्षा 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसका चयन शिक्षाकर्मी वर्ग तीन के लिए हुआ थाए लेकिन वह शिक्षाकर्मी की नॉकरी करके अपने लक्ष्य से भटकना नहीं चाहता था। पिता ने बेटे के जज्बे को देखा तो वे भी उसकी जिद्द के आगे हार मान गए और हरसंभव पुत्र का हौसला बढ़ाया।
शांति नंदन मिंज आठवीं कक्षा तक बलरामपुर जिले के शासकीय स्कूल में पढ़ाई करने के बाद अम्बिकापुर के सेंट जेवियर स्कूल में हायर सेकेंडरी स्कूल तक शिक्षा ली। छत्तीसगढ़ पीएमटी के बाद नीट की परीक्षा पास करके उसने जगदलपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एमबीबीएस की शिक्षा लेकर डॉक्टर बनने के लक्ष्य को हासिल किया।
खेती.किसानी में परिजनों का हाथ बटाने वाला शांति नंदन अब डॉक्टर बन चुका है। इनका बड़ा भाई रामसागर मिंज पिता के साथ खेती.किसानी में हाथ बटाता है। बहन सालोमिना बलरामपुर में प्राइवेट जॉब करती है।
जगदलपुर मेडिकल कॉलेज से पास आउट होने के बाद शांति नंदन को नियुक्ति के लिए जिला कलेक्टर ने जब अपने कार्यालय में बुलाया तो उसके साथ पिता विजय कुमार भी गए थे। उनकी नियुक्ति रघुनाथपुर स्वास्थ्य केंद्र में करने की तैयारी थी जिसके लिए आदेश जारी किया जाना था। साथ गए पिता ने इस पर कलेक्टर से आग्रह किया कि उनका घर कंदरी में है वे चाहते हैं कि उनका बेटा क्षेत्र के अस्पताल में रहकर लोगों की सेवा करे।
इस पर कलेक्टर ने चांदो अस्पताल में प्रथम पदस्थापना के लिए आदेश जारी करने कहा। सीएमएचओ बलरामपुर ने इसके लिए आदेश भी जारी कर दिया है। आदेश जारी होने के बाद 20 दिसंबर को शांति नंदनए चांदो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ज्वाइनिंग देकर सेवा देना शुरू कर दिए हैं।
चांदो में 10 वर्ष पहले 30 बिस्तर का अस्पताल बना। यहां पहली बार कोई एमबीबीएस डॉक्टर नियुक्त हुआ है। खेती.किसानी करके परिवार का गुजारा करने वाले कृषक के पुत्र के डॉक्टर बनने से गांव के लोगों में खुशी का माहौल है।
पूर्व में अस्पताल में एमबीबीएस डॉक्टर के नहीं रहने से क्षेत्र के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पडता था। प्राथमिक इलाज के लिए इन्हें बलरामपुर अम्बिकापुर रामानुजगंज झारखंड उत्तरप्रदेश जाना पडता था।
एमबीबीएस चिकित्सक की नियुक्ति के बाद चांदो अस्पताल में इलाज के साथ पोस्टमार्टम की भी सुविधा स्थानीय स्तर पर मिलेगी। चांदो स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ किए गए डॉ शांति नंदन मिंज व उनके पिता विजय कुमार का क्षेत्रवासियों ने घर पहुंचकर अभिनंदन किया।
इस मौके पर विकास मंडल मुन्नू जायसवाल बेचन राम संतोष गुप्ता अजय जायसवाल मनोज पैकरा मुशर्रफ अंसारी मुर्तजा अंसारी अजीज अंसारी राम विनय पांडे जीतू नगेसिया पूर्व सरपंच रामसकल राम शौकत अंसारी सहित अन्य मौजूद थे।
नक्सल आतंक से जूझ रहा परिवार का बेटा बना डॉक्टर अब अपने ही गांव में देगा सेवा……
अंबिकापुर। झारखंड सरहद से लगे बलरामपुर जिले का चांदो इलाका एक दौर में नक्सल आतंक से जूझ रहा था।