Home स्वास्थ्य स्वस्थ रहने के विभिन्न तरीके….

स्वस्थ रहने के विभिन्न तरीके….

248
0

रायपुर। चमत्कारिक रहस्यों के जरिये लोगों को गुमराह करना अब आसान नहीं होगा। अंविश्वास दूर करने के लिए प्रदर्शन केंद्र बनाए जाएंगे। इनके जरिये बच्चों को चमत्कार में छिपे विज्ञान से अवगत कराया जाएगा। पहले चरण में पांच जिलों -बस्तर, महासमुंद, दुर्ग, बिलासपुर और सूरजपुर में प्रदर्शन केंद्र बनाए जाएंगे। कलेक्टरों को आदेश जारी किया गया है कि इन केंद्रों पर बच्चों और शिक्षकों का भ्रमण कराया जाए। समग्र शिक्षा के संचालक पी दयानंद के मुताबिक कई तरह के अंविश्वास हैं, जैसे सल्फी के पेड़ पर विशेष परिवार के ही लोग चढ़ते हैं। इनके वैज्ञानिक रहस्य से बच्चों को अवगत कराएंगे।

गोदना यानी टैटू से इलाज

आदिवासी इलाके में टैटू से इलाज का प्रचलन है। मानव विज्ञान शास्त्री डॉ. मित्राश्री मित्रा का कहना है कि यह एक तरह से उनकी मान्यता है कि गोदना पारंपरिक है और उनके पूर्वजों से जुड़ा हुआ है।

वैज्ञानिक तर्क

वैज्ञानिक और इतिहासकारों का मानना है कि टैटू का संबंध किसी विशेष रोग के इलाज से भी हुआ करता था। जहां-जहां टैटू थे उन स्थानों को एक्यूप्रेशर से जोड़ा जा सकता है।

चापड़ा यानी लाल चींटी से इलाज

बस्तर में लाल चींटी के जरिए बुखार और पीलिया के इलाज को लेकर मान्यता है कि यह चींटी किसी बुखार पीड़ित को काट ले तो उसका बुखार छूमंतर हो जाता है।

वैज्ञानिक तर्क

पं. रविवि के प्रोफेसर डॉ. शम्स परवेज के मुताबिक चापड़ा चींटी में फॉर्मिक एसिड होता है। अधिक मात्रा होने पर यह फार्मेल्डिहाइड तत्व में भी बदल सकता है और इससे कैंसर होने का खतरा है, जागरूकता जरूरी है।

लौकी से पानी की बोतल

मान्यता है कि लौकी की बॉटल में पानी पीने से मन शांत रहता है। इससे कई बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं।

वैज्ञानिक सोच

प्राणी शास्त्र के वैज्ञानिक डॉ. एके पति कहते हैं कि लौकी का पानी शुद्ध होता है। यह ठंडा भी रहता है। जबकि प्लास्टिक की बोतल को बनाने में टॉक्सिक (जहरीले) कैमिकल का यूज किया जाता है, जो हानिकारक होते हैं। इस पर वैज्ञानिक अध्ययन जरूरी है।

मौसम का पता लगाने की पद्धतियां

मौसम का पता लगाने की स्थानीय पद्धतियों में जैसे काले बादल उड़ते दिखे तो बारिश होगी, सफेद बादल उठे तो हवा चलेगी। कई मांसाहारी पक्षियां घोंसला बनाने लगें तो मानसून जल्द आएगा आदि मान्यता है।

वैज्ञानिक तर्क

मौसम विज्ञानी एचपी चंद्रा कहते हैं कि यह एक तरह का अनुभव है। वर्तमान में यंत्रों से माप कर ही मौसम संबंधी सटीक जानकारी दी जा सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here