भोपाल। भोपाल गैस कांड के तुरंत बाद जिला प्रशासन ने यूनियन कार्बाइड (यूका) प्रबंधन से जब जहरीली मिथाइल आइसो सायनेट (एमआईसी) गैस से बचने का उपाय पूछा तो उन्होंने लोगों को घरों से बाहर निकालने का सुझाव दे डाला। सरकार ने इस बारे में लाउड स्पीकर से उद्घोषणा करा दी। यह उपाय नागरिकों को मौत के रास्ते पर ले जाने वाला साबित हुआ और सैकड़ों लोग जहरीली गैस के सीधे संपर्क में आ गए। इसके विपरीत जो घरों में थे, उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। पूरी दुनिया को हिलाकर रख देने वाली इस औद्योगिक त्रासदी के इस स्याह पक्ष का राजफाश यूनियन कार्बाइड प्लांट में पदस्थ तत्कालीन एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट योगेंद्र शर्मा (अब सेवानिवृत्त आईएएस) ने किया। यह जानकारी अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं करने पर वे बोले कि हादसे के बाद फैक्टरी परिसर में रहकर मैंने अपनी सुरक्षा की खातिर सेफ्टी मेजर्स का अध्ययन किया तब यह जानकारी मिली, और तब तक देर हो चुकी थी। बाद में उनसे कोई पूछताछ भी नहीं हुई, जिससे यह तथ्य बाहर नहीं आ पाया। उन्होंने बताया कि हादसे वाली रात में प्रशासन ने ‘यूका” से बचाव का रास्ता पूछा तो प्रबंधन ने महज फैक्टरी मेन्युअल पढ़ दिया जबकि वह उपाय छोटी-मोटी गैस लीकेज के संदर्भ में परिसर खाली करने के लिए था। एमआईसी गैस का भूमिगत टैंक फटने और करीब 40 टन गैस रिसाव से वह इलाका गैस चेंबर में तब्दील हो गया था। पांच लाख लोग गैस के प्रभाव में आए, ऐसी दुर्घटना के लिए वह उपाय कारगर नहीं था। इससे तो सैकड़ों लोग उस रात को जहरीली गैस की चपेट में आ गए। प्रशासन की उद्घोषणा (एनाउंसमेंट) के बाद पुराने शहर के बाशिंदे घरों को छोड़कर भाग गए। उस वक्त यूका की ओर से दूसरा उपाय नहीं बताया गया कि गैस से बचने के लिए ‘गीले कपड़े से आंख-मुंह ढंक लें।” जिन लोगों ने अपनी समझ से ऐसा किया वे बच गए।
हेलीकॉटर से कराई थी बारिश
शर्मा ने बताया कि उनके स्वास्थ्य को लेकर परिजन चिंतित थे, लेकिन तब डॉ. लोया, एचएस त्रिवेदी, योगीराज शर्मा, वायके चुघ व अन्य चिकित्सा विशेषज्ञों के चलते वे आश्वस्त रहे। ये सभी 7-8 दिन तक लगातार हमीदिया अस्पताल में ही मरीजों के इलाज में व्यस्त रहे। ‘ऑपरेशन फैथ” के दौरान हेलीकॉप्टर से फैक्टरी परिसर के आसपास बारिश कराई गई। यूका में बची जहरीली ‘एमआईसी” गैस को खत्म करने ‘सेविन और टेमिक” नामक कीटनाशक का निर्माण कराया गया तब भी शहर में हड़कंप मचा और लोग बसों में बैठकर पलायन कर गए।
मुख्यमंत्री-मुख्य सचिव भी यूका पहुंचे
जीवन के सबसे कटु अनुभव के बारे डॉ. योगीराज शर्मा और योगेंद्र शर्मा ने बताया कि हादसे के बाद तत्कालीन मुख्य सचिव ब्रह्मस्वरूप और मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह भी यूका परिसर का निरीक्षण करने पहुंचे थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी भोपाल आए, उसके पहले अस्पताल की सफाई और मृतकों का सामूहिक दाह संस्कार हुआ। ये दृश्य आज आंखों में है। डॉ. योगीराज शर्मा बताते हैं कि एनाउंसमेंट से मची भगदड़ से लोगों के फैफड़ों में ज्यादा गैस भर गई, जिससे उनकी मौत हो गई। हादसे के चार-पांच माह बाद उनकी बेटी का जन्म हुआ, जो 34 साल के बाद भी बोल नहीं पाती है। वह सेरीब्रल पाल्सी से पीड़ित है।