भिलाई। पृथक रिसाली निगम बन तो गया, लेकिन सवाल और दिक्कत खत्म नहीं हुई। जी हां रिसाली जोन का सालाना खर्च 20 करोड़ से ज्यादा है। जबकि राजस्व वसूली महज चार करोड़। ऐसे में प्रशासन राजस्व बढ़ाने के लिए सुझाव मांग रहा है। तमाम अड़चनों के बाद आखिकर रिसाली निगम का उदय हो गया। जिन तेरह वार्डों को शामिल किया गया है उनकी घोषणा भी राजपत्र में हो गई। फिलहाल दावा आपत्ति का समय चल रहा है। अब तक एक निर्दलीय पार्षद ने आपत्ति दर्ज कराई है तो एक पार्षद ने राजस्व बढ़ाने के लिए सुझाव दिया है। दरअसल रिसाली निगम का पूरा सेटअप बैठना है। वर्तमान में स्थापना व्यय, बिजली बिल, डीजल बिल, वाहनों तथा अन्य संधारण कार्य में सालाना 20 करोड़ से ज्यादा खर्च हो रहा है। पूरी तरह अस्तित्व में आने के बाद निगम का खर्च और बढ़ेगा।
राजस्व वसूली कम
रिसाली निगम में फिलहाल 13 वार्डों को जोड़ा गया है। इसमें से रिसाली सेक्टर, मरोदा सेक्टर को छोड़ दिया जाए तो बाकी स्थानों से उतना राजस्व नहीं आ पाता। दो तीन वार्ड हैं जो विकसित क्षेत्र कहे जा सकते हैं। यहां से राजस्व वसूली ठीक ठाक होती है।
बीएसपी को यथावत रखने का सुझाव
तर्क दिया जा रहा है कि भिलाई स्टील प्लांट को मरोदा सेक्टर वार्ड में यथावत रखने इसके अलावा मैत्री गार्डन, एनएसपीसीएल को रिसाली निगम में रखने से राजस्व बढ़ेगा। बता दें कि भिलाई स्टील प्लांट से भिलाई निगम को सलाना 12 करोड़ रुपये राजस्व मिलता है।
इसलिए भी दर्ज कराई आपत्ति
राजस्व को लेकर रिसाली के पार्षद चुम्मन देशमुख ने आपत्ति दर्ज कराई। चुम्मन का तर्क है कि रिसाली निगम में उद्योग, बाजार, व्यापार, अस्पताल, स्कूल कुछ भी नहीं है तो राजस्व कैसे आएगा। हालांकि रिसाली जोन के पार्षदों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है तथा रिसाली के साथ विश्वासघात बता रहे हैं।
नक्शा तैयार कर रहा प्रशासन
राजस्व बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन को सुझाव भी दिया जाने लगा है। इन सुझावों में बीएसपी, एनएसपीसीएल, मैत्री गार्डन को शामिल करने के साथ-साथ ग्राम पंचायत धनोरा, डुमरडीह, उमरपोटी को रिसाली में शामिल करना है, ताकि रिसाली निगम का राजस्व बढ़ाया जा सके। हालांकि प्रशासन द्वारा अभी नक्शा तैयार किया जा रहा है।