दंतेवाड़ा। मंगलवार को यूं तो पूरा देश संविधान दिवस मना रहा था, लेकिन जिले के कारली स्थित सीआरपीएफ 111वीं बटालियन के कैंप में इस दौरान चल रहा कार्यक्रम अपने आप में अनूठा था। दरअसल, यहां मुख्य अतिथि कोई नेता या अफसर नहीं, बल्कि आत्मसमर्पित महिला नक्सली थी। गोद में दुधमुंहा और चेहरे पर गर्व भरी चमक लिए यह महिला जब फोर्स के अफसरों, जवानों और ग्रामीणों को संविधान की रक्षा और सम्मान करने का संकल्प दिला रही थी, तो हर कोई गौरवान्वित महसूस कर रहा था। कल तक जो महिला संविधान की अवहेलना कर विध्वंसकारी गतिविधियों में लिप्त थी, आज संविधान की खूबियां बता रही थी। सीआरपीएफ कमांडेंट द्वय अंब्रेश कुमार और अरुण कुमार की मौजूदगी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कैंप के जवानों के अलावा आसपास के गांव के कुछ ग्रामीण भी इस दौरान उपस्थित थे। मुख्य अतिथि के रूप में जब कुआकोंडा निवासी आत्मसमर्पित नक्सली जुंको कवासी का परिचय दिया गया, तो एकबारगी सभी चौंक गए। सामान्य कद-काठी, सांवली सूरत, गोद में दुधमुंहा लिए जुंको ने जब बोलना शुरू किया तो सभी को सुखद अहसास हो रहा था। इस दौरान कभी खौफ का पर्याय रहा चेहरा शालीनता से भरा हुआ था। जुंको ने सभी को संविधान की रक्षा और सम्मान की शपथ दिलाई। उसने भारतीय संविधान में आम लोगों को मिले मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी देते उसकी रक्षा करने को कहा। वहां मौजूद ग्रामीणों की ओर मुखातिब होते हुए जुंको ने कहा कि वे संविधान को आत्मसात कर देश की एकता और अखंडता के लिए सदैव तत्पर रहेंगे। किसी से किसी तरह का दुराभाव न रखते हुए देश और समाज की उन्नति के लिए काम करेंगे। जुंको ने इस मौके पर ग्रामीणों को संदेश देते हुए कहा कि वे नक्सलियों के बहकावे में न आएं। वहां बर्बादी के सिवाय कुछ नहीं है। उनका कोई इमान नहीं है। अपनों का दुश्मन बनने के बजाय अपनों का रक्षक बनें। प्रशासन और सुरक्षाबल का सहयोग करें। गांव और देश के विकास में योगदान दें।