गुरुवार दोपहर उस समय हड़कंप मच गया, जब महादेव घाट पुल से एक महिला ने अपने तीन साल के बच्चे को खारुन नदी में फेंक दिया। यह नजारा देखकर एक युवक ने अपनी जान की परवाह किए बिना नदी में छलांग लगा दी। युवक ने बच्चे को सही-सलामत नदी से बाहर निकाल लिया। बच्चे को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। घटना स्थल पर मौजूद लोगों ने इसकी सूचना डीडी नगर थाने को दी। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। महिला को डीडीनगर थाना लाया गया। बताया गया कि महिला मानसिक रूप से बीमार है। महिला बच्चे को नदी में फेंकने के बाद खुद भी कूदने का प्रयास कर रही थी। डीडीनगर थाना प्रभारी मंजूलता राठौर ने बताया कि मानसिक रूप से कमजोर रस्म साहू का पति काम के सिलसिले से बाहर रहता था। इसके कारण परेशान होकर वह घर से झूठ बोलकर बच्चे को साथ लेकर निकली और महादेव घाट पुल के ऊपर से बच्चे को नदी में फेंक दिया। इसके बाद वह खुद कूदने का प्रयास कर रही थी। यह देखकर वहां खड़े युवक ने नदी में छलांग लगाकर बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
बच्चे को इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। वहीं महिला को सखी सेंटर भेज दिया गया। उसके परिजनों को बुलाकर मासूम की देखरेख में लगाया गया है। खारुन नदी से मासूम बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालने वाले राकेश देशलहरे ने बताया कि दोपहर पौने तीन बजे उसने जैसे ही देखा कि एक महिला ने महादेवघाट पुल से बच्चे को नदी में फेंका, वह बिना देर किए नदी में कूद गया। उस समय उसे सोचने का मौका नहीं मिला कि नदी में कूदने से उसकी जान को भी खतरा हो सकता है। राकेश के साथ प्रवीण सारंग ने भी बच्चे को बाहर निकालने में मदद की। मूलतः दुर्ग जिले के पाटन थाना क्षेत्र के कापसी गांव निवासी राकेश देशलहरे की जांबाजी को देखकर पुलिस समेत लोगों ने प्रशंसा की। उसने कहा कि वह घटना स्थल पर अकस्मात पहुंचा था। शायद ईश्वर ने उसके हाथों से ही बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए भेजा था। राकेश भिलाई स्थित खूबचंद बघेल कॉलेज में बीए फाइनल वर्ष की पढ़ाई कर रहा है।