नारायणपुर। जिला मुख्यालय से करीब 37 किमी दूर अबूझमाड़ के इरकभट्टी नदी के पास घाटी में जर्जर सड़क पर मुरूम डाल रहे रामकृष्ण मिशन आश्रम के तीन ट्रैक्टरों को नक्सलियों ने जला दिया है।
इससे दुर्गम क्षेत्र में निवासरत सैकड़ों परिवारों के समक्ष भोजन का संकट उत्पन्न हो गया है। बुधवार की शाम पांच दर्जन हथियारबंद नक्सली मौके पर पहुंचे और मरम्मत कार्य बंद करने की धमकी दी। इसके साथ ही वाहनों को आग के हवाले कर दिया। 34 साल में पहली बार रामकृष्ण मिशन आश्रम के वाहनों को माओवादियों ने टारगेट किया गया है।
जिससे आश्रम प्रबंधन भी सकते में आ गया है। नक्सलियों की इस करतूत का असर अबूझमाड़ के मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना से जुड़े 12 सौ परिवार के साथ रामकृष्ण मिशन आश्रम के कुतुल, कच्चापाल और इरकभट्टी सेंटर में भविष्य संवार रहे चार सौ माड़िया बच्चों पर भी पड़ सकता है। बरसात के सीजन के बाद जर्जर सड़क की मरम्मत नहीं होने से इस इलाकों में रसद सप्लाई प्रभावित होने की बात सामने आ रही है। रामकृष्ण मिशन आश्रम प्रबंधन का कहना है कि नक्सलियों की वजह से पीडीएस सिस्टम के साथ आश्रम के तीन केंद्रों में खाने -पीने की सामग्री की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका है। जर्जर सड़क की मरम्मत नहीं होने से राशन पहुंचा पाना मुश्किल होगा। इसके साथ ही कभी भी वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं।
इससे जान-माल का नुकसान भी हो सकता है । आश्रम प्रबंधन के द्वारा ग्रामीणों से कहा गया है कि वह नक्सलियों तक संदेश पहुंचाएं कि सड़क की मरम्मत में बाधा नहीं डालें। बता दें कि नक्सलियों के द्वारा पहली बार रामकृष्ण मिशन आश्रम के वाहनों को क्षति पहुंचाया गया है। नक्सलियों की बदलती रणनीति के चलते अबूझमाड़ समेत जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में ग्रामीण दहशत में हैं । बारिश के बाद इस मार्ग पर पैदल चलना भी मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में सड़क की मरम्मत करना बहुत ही जरूरी हो गया है। बताते हैं कि नक्सलियों के द्वारा कच्चापाल में पुलिस कैंप खोलने के लिए सड़क मरम्मत किए जाने के शक में आश्रम के वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया है। नक्सलियों के द्वारा पिछले कुछ महीनों से अबूझमाड़ में पुलिस कैंप खोलने की बात कहते ग्रामीणों को कैम्प का विरोध करने के लिए उकसाया जा रहा है।कोहकामेटा कैम्प से सात किमी दूर नक्सली घटना से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है। कैम्प के पास से ही जेसीबी से मुरुम की ढुलाई की जा रही थी इस वजह से जेसीबी और दो ट्रैक्टर नक्सलियों की नजर से बच गए।