रायपुर। दुनिया में अनेक प्रकार की चिकित्सा पद्धतियां हैं। 200 वर्ष पूर्व हमारे देशवासी वैद्यक और हकीमी दो चिकित्सा प्रणाली का ही नाम सुनते थे। अंग्रेजी का शासन स्थापित हो जाने के बाद डॉक्टरी (एलोपैथी) का नाम भी प्रसिद्ध हो गया, लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में रोग को ठीक करने के साथ ही उसे शरीर से खत्म करने पर ध्यान दिया जाता है। प्राकृतिक उपचार में मिट्टी से त्वचा की, उपवास चिकित्सा पद्धति से दिल की बीमारी समेत कई घातक बीमारियों को जड़ से खत्म किया जा सकता है। रायपुर एम्स के योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. विक्रम पई ने कहा कि सोमवार को प्राकृतिक चिकित्सा दिवस है। लोगों को ये चिकित्सा अपनाने की सलाह दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि पंच तत्वों आकाश, जल, अग्नि, वायु और पृथ्वी को आधार मानकर चिकित्सा सम्पन्न की जाती है। यदि त्वचा संबंधित किसी प्रकार की बीमारी होती है। उसे मिट्टी चिकित्सा पद्धति से दूर किया जा सकता है। मिट्टी, शरीर के दूषित पदार्थों को घोलकर और अवशोषित कर शरीर से बाहर निकालने का काम करती है। उपवास चिकित्सा के बारे में बताते हुए डॉ. विक्रम पई कहते हैं कि इससे कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। बशर्ते इसके नियमों का पालन हो। वे कहते हैं कि इसमें पका खाना या कोई आहार नहीं लिया जाता। केवल सब्जियों और फल का रस दिया जाता है। इससे मोटापा, पेट साफ, दिल की बीमारी और कैंसर के पहले स्टेज के मरीजों का उपचार किया जा सकता है।