मेंटल हेल्थ या मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां हमारी सोसायटी में इतनी तेजी से बढ़ रही हैं कि पूरी दुनिया का ध्यान इस तरफ आ गया है। यही वजह है कि अक्टूबर को मेंटल हेल्थ अवेयरनेस मंथ ही घोषित कर दिया गया। लेकिन मानसिक सेहत एक ऐसा विषय है जिस पर लोगों को लगातार ध्यान देने की जरूरत है। आज भी हमारी सोसायटी में मेंटल हेल्थ को लेकर लोगों के बीच जागरूकता का अभाव है। खासतौर पर हम वर्कप्लेस और रिलेशनशिप से जुड़े भावनात्मक दबाव के मुद्दों को बहुत लाइटली लेते हैं। डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ के अनुसार, दुनियाभर में करीब 400 मिलियन लोग किसी ना किसी मेंटल और न्यूरॉलजिकल डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं या साइकॉलजिकल समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
इन समस्याओं में स्ट्रेस डिसऑर्डर, ऑबसेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर, पैनिक अटैक्स, पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी बीमारियां प्रमुखता से शामिल हैं। साल का एक पूरा महीना मानसिक सेहत के प्रति डेडिकेट करने का उद्देश्य यही है कि लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जा सके। लेकिन चीजें अभी उतनी अच्छी नहीं हुई हैं, जितना अच्छा इन्हें किए जाने की जरूरत है। हमारे जीवन में तनाव और डिप्रेशन केवल पर्सनल कारणों से नहीं आते हैं बल्कि प्रफेनल रीजन्स का भी इसमें बड़ा रोल होता है। वर्कप्लेस का माहौल, काम का अधिक दबाव, क्षमता से अधिक काम करना, कॉलीग्स के साथ रिश्ते, इन सभी बातों का हमारी मानसिक सेहत पर असर होता है। इसलिए वर्कप्लेस पर किसी भी तरह का दबाव महसूस हो तो सबसे पहले उसके समाधान की दिशा में काम करना चाहिए।