रायपुर। पुलिस मुख्यालय के एक अनोखे फरमान की इन दिनों पूरे प्रदेश में चर्चा हो रही है। दरअसल किसान हितैषी पक्षी उल्लू की तस्करी और शिकार पर लगाम कसने के लिए पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखा है। इस पत्र के मिलने से थानेदार से लेकर पुलिस अधिकारी यह सोचकर परेशान हैं कि कानून व्यवस्था को छोड़कर अब उल्लुओं की रक्षा भी करनी पड़ेगी। हालांकि इस फरमान को लेकर खुलकर टीका-टिप्पणी करने से अफसर बच रहे हैं। उनका कहना है कि मुख्यालय से मिले सभी निर्देशों का पालन कराया जाएगा। उल्लू ऐसा निशाचर पक्षी है, जो सन्नाटे और घुप्प अंधेरे में चुपचाप उड़ान भरता है।
किसान हितैषी पक्षी उल्लू की तस्करी और शिकार प्रदेश में लगातार होने से उसकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। सरगुजा, कोरिया, जशपुर, कोरबा, रायगढ़, बलरामपुर, सूरजपुर, बिलासपुर, पेंड्रा समेत अन्य जिलों में उल्लुओं की तस्करी और शिकारके कई मामले सामने आए हैं। यही वजह है कि मुख्यालय ने उल्लुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी वर्दीवालों को सौंपी है। जानकारी के मुताबिक दिवाली के समय उल्लुओं की मांग बढ़ जाती है। अंधविश्वास के चक्कर में लोग दिवाली पर उल्लुओं की बलि चढ़ाते हैं। पक्षियों का व्यापार करने वाले तस्कर उल्लू को पकड़कर एक अच्छी कीमत लेकर बेच देते हैं, जबकि वन अधिनियम के तहत उल्लू पालना या उसका शिकार करना दंडनीय अपराध है।बावजूद इसके उल्लुओं की खरीद-फरोख्त जारी है।
इस पर रोक लगाने के लिए वन विभाग सख्त हो गया है। अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने के अलावा विभाग तस्करी रोकने में लगा है। तस्कर आग जलाकर पेड़ों में छिपे उल्लुओं को निकालते हैं। उनके बाहर निकलते ही जाल फैलाकर उनको फंसा लेते हैं। पुलिस मुख्यालय ने उल्लुओं की तस्करी और शिकार को लेकर निर्देश जारी कर पुलिस को उल्लुओं की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा है। निर्देश में कहा गया है कि उल्लू को किसान हितैषी पक्षी कहा गया है, जो खेतों में फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट-पतंगों व चूहों का शिकार कर किसानों की मदद करता है। लिहाजा उल्लू को संरक्षण दिया जाए और शिकार या तस्करी कर उन पर अत्याचार करने वाले अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उन्हें जेल भेजा जाए। दरअसल दिवाली के दिन तांत्रिक तंत्र-मंत्र जगाने का काम करते हैं। इसके लिए वे उल्लू की बलि देते हैं। उल्लू के वजन, आकार, रंग, पंख के फैलाव के आधार पर उसका दाम तय किया जाता है।
लाल चोंच और शरीर पर सितारा धब्बे वाले उल्लू लाखों में बिकते हैं, जबकि वन अधिनियम के तहत उल्लू संरक्षित प्रजाति है और उसका शिकार करना दंडनीय अपराध है। जशपुर, बलरामपुर, कोरबा जिले में पिछले दिनों उल्लुओं की तस्करी का भंडाफोड़ हुआ था। भारतीय वन्य जीव अधिनियम, 1972 की अनुसूची एक के तहत उल्लू संरक्षित पक्षी है। ये विलुप्त प्राय जीवों की श्रेणी में दर्ज है। इनके शिकार या तस्करी करने पर कम से कम 3 वर्ष या उससे अधिक सजा का प्रावधान है। पूरी दुनिया में उल्लू की लगभग 225 प्रजातियां हैं। उल्लू का शिकार या तस्करी करने वालों के खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। उल्लू को नुकसान पहुंचाते या शिकार करते पकड़े जाने पर आरोपित के खिलाफ इस अधिनियम के तहत 7 साल तक की सजा का प्रावधान है।