इमरजेंसी सेवा को लेकर टेट्रिस चैलेंज का मंगलवार को सरगुजा जिले में प्रदर्शन किया गया। आयोजन में 108 संजीवनी एंबुलेंस के अधिकारी-कर्मचारियों ने एंबुलेंस में रहने वाले समस्त उपकरणों का कोर एक्शन फिगर पोज दर्शाया और चुनौती की घड़ी में इसकी उपयोगिता को प्रदर्शित किया। पीजी कॉलेज मैदान में आयोजित टेट्रिस चैलेंज के आयोजन के माध्यम से यह सामने लाने का प्रयास किया गया कि संजीवनी 108 नाम की संजीवनी नहीं है बल्कि इस एंबुलेंस में मौजूद संसाधन वक्त पड़ने पर किसी के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकते हैं। संजीवनी से सिर्फ मरीज को शासकीय अस्पतालों तक पहुंचाने का दायित्व पॉयलट और ईएमटी नहीं निभाते बल्कि कॉल सेंटर में मौजूद रहने वाले चिकित्सक से जरूरत के अनुरूप वे सलाह भी लेते हैं, जो वास्तव में गंभीर रूप से पीड़ितों के लिए संजीवनी साबित होता है। टेट्रिस चैलेंज का डेमो लोगों में संजीवनी एंबुलेंस में दी जाने वाली सुविधाओं के प्रति जागरूकता लाने से ओतप्रोत था, ताकि गंभीर परिस्थिति में इसका लाभ पीड़ितों को मिल सके।
एंबुलेंस में अग्निरोधक सिस्टम की भी सुविधा है ताकि आग लगने पर इसका उपयोग किया जा सके। इस मौके पर सरगुजा संभाग प्रभारी अनीश कुरियन, जिला प्रभारी अभय प्रताप व दीपक नीलकंठ के अलावा जिले के सभी 108 एंबुलेंस के कर्मचारी उपस्थित रहे। इनके द्वारा टेट्रिस चैलेंज के माध्यम से दी जाने वाली सेवाओं को सामने लाया गया। संजीवनी 108 एंबुलेंस में दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर गौर करें तो इसमें ऑक्सीजन सिलेंडर के अलावा ऐसे सारे मेडिकल संसाधन रहते हैं, जिसकी आकस्मिक आवश्यकता पड़ सकती है। इमरजेंसी व प्राथमिक चिकित्सा में उपयोगी सारे संसाधनों की उपलब्धता रहने से ईएमटी किसी गंभीर परिस्थिति में मरीज की हालत से संजीवनी 108 के कॉल सेंटर में मौजूद रहने वाले चिकित्सक को अवगत कराता है। इसके बाद आवश्यकता अनुरूप सभी सुविधाओं का उपयोग किया जाता है। किसी पीड़ित को अगर ऑक्सीजन के सहारे अस्पताल लाया जा रहा हो और अचानक ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो जाए, तो इसकी वैकल्पिक व्यवस्था एंबुलेंस में रहती है। एंबू बैग को नाक में लगाकर ऑक्सीजन पंपिंग किया जाता है, जो पीड़ित के फेफड़े तक पहुंचता है और ऑक्सीजन की कमी नहीं खलती है। मरीज को कितना ऑक्सीजन चाहिए, इसका ऑटोमेटिक पता मॉनीटर पर चलता है।
जरूरत पड़ने पर ईएमटी कॉल सेंटर में फोन करके चिकित्सक की सलाह लेते हैं। जहरखुरानी जैसे मामलों में किसी व्यक्ति के शरीर में जहर न फैले, इसके लिए प्राणरक्षक उपाय मौके पर किए जाते हैं। सक्शन पाइप डालकर जहर खींचा जाता है, ताकि पीड़ित को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक सकुशल पहुंचाया जा सके। सर्पदंश जैसे मामले में किसी पीड़ित को अस्पताल तक लाना हो तो एंटी स्नेक सीरम की उपलब्धता एंबुलेंस में रहती है। झाड़फूंक में समय अगर नहीं गंवाया गया हो तो मौके पर ही पीड़ित को एंटी स्नेक का डोज देकर उसे राहत पहुंचाने का काम ईएमटी करते हैं। संजीवनी 108 एक तरह से मिनी आइसीयू का रूप लिया रहता है, जिसमें वेंटिलेटर की भी सुविधा रहती है। इससे किसी अनकॉन्सेस के हृदय के धड़कन की गति, पल्स, कितने ऑक्सीजन की जरूरत है, बॉडी टेंपरेचर की स्थिति का पता चलता है। ऑटो मोड में सारी जानकारी मिलने से एंबुलेंस के ईएमटी को भी पल्स, धड़कन की जानकारी आसानी से मिल जाती है और वह कॉल सेंटर के चिकित्सक को पीड़ित की स्थिति की जानकारी देता है और आवश्यक सुविधा मुहैया कराता है।
सरगुजा जिले में वर्तमान में संजीवनी 108 की 11, बलरामपुर जिले में छह, सूरजपुर जिले में छह, कोरिया जिले में छह और जशपुर जिले में 11 एंबुलेंस का संचालन किया जा रहा है। पूर्व में सरगुजा संभाग में कुल 47 एंबुलेंस संचालित किए जा रहे थे, जिसमें से सात एंबुलेंस की कंडम स्थिति होने के कारण उसे कंपनी को हैंडओवर किया गया है। वर्तमान में 40 एंबुलेंस की सुविधा सरगुजा संभाग के लोगों को मिल रही है। संजीवनी 108 के प्रभारी का कहना है यह कोई नार्मल एंबुलेंस नहीं है, जिसमें पेशेंट को लोड एंड गो किया जाए। जरूरत अनुरूप उपचार भी मुहैया कराई जाती है। संजीवनी 108 एंबुलेंस में क्या मेडिकल फैसिलिटी दी जा रही है, इसके प्रति लोगों को जागरूक करने उपलब्ध सुविधाओं का प्रदर्शन किया गया। सरगुजा जिले में प्रतिमाह न्यूनतम एक हजार पीड़ितों को इन सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। इनमें एक सौ से अधिक एक्सिडेंटल केस रहते हैं। संजीवनी में दी जाने वाली सुविधा, संसाधन को लेकर किसी प्रकार की भ्रांति न हो, इसके लिए उपलब्ध सभी संसाधनों का डेमो मंगलवार को किया गया। इससे लोगों को सामान्य और संजीवनी एंबुलेंस के बारे में सही जानकारी मिलेगी। जरूरतमंदों को इसका लाभ मिलेगा।