दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों के प्लाटून नंबर 26 के सेक्शन कमांडर बामन मंडावी ने शनिवार को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। कई बड़े वारदातों में शामिल बामन ने समर्पण की वजह बड़े नक्सली लीडरों द्वारा भेदभावपूर्ण व्यवहार, उनकी खोखली विचारधारा और शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होना बताया है। पुलिस के अनुसार वह तोंगपाल थाना के ग्राम टाहकवाड़ा, कुआकोंडा के मैलावाड़ा जैसे बड़ी वारदातों में शामिल रहा। शासन ने उस पर तीन लाख रूपये का इनाम घोषित कर रखा था। थाना कटेकल्याण के ग्राम डुवालीकरका निवासी बामन मंडावी ने एसपी डॉ अभिषेक पल्लव और एएसपी सूरज सिंह परिहार के समक्ष समर्पण किया।
समाज के मुख्यधारा में जुड़ने पर अधिकारियों ने उसका स्वागत करते दस हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि का चेक सौंपा। बामन मंडावी ने स्वीाकर किया कि वह कई बड़ी वारदातों में शामिल था। 2014 में सुकमा के टाहकवाड़ा मुठभेड़ में बामन और उसके साथियों ने 16 जवानों को शहीद कर हथियार लूटे थे। 2015 में मैलावाड़ा ब्लास्ट में भी वह शामिल था जिसमें सीआरपीएफ के सात जवान शहीद हो गए थे। सुकमा जिले में आठ साल पहले घटित बहुचर्चित ताड़मेटला आगजनी कांड की न्यायिक जांच में बयान दर्ज कराने शुक्रवार को आयोग के यहां स्थित दफ्तर पहुंचे ग्राम तिम्मापुर के गवाहों ने दावा किया है कि आगजनी से पहले गांव में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। मुठभेड़ के बाद शव लेने हेलीकाप्टर आया था, लेकिन किन लोगों का शव लेने हेलीकाप्टर गांव में उतरा था यह गवाह नहीं बता सके। इधर गवाहों ने एक बार फिर दावा किया कि उनके मकानों को आग पुलिस के जवानों ने लगाई थी। गवाहों में पुरूषों का कहना था कि काफी संख्या में पुलिस गांव में सुबह ही पहुंच गई थी। पुलिस के पहुंचते ही गोली चलने की आवाज सुनकर अनहोनी की आशंका से गांव के अधिकांश पुरूष जंगल भाग गए थे।
सिर्फ बुजुर्ग और महिलाएं तथा छोटे बच्चे ही गांव में रह गए थे। गांव लौटने पर उन्होंने देखा कि गांव के मकान जल चुके थे। घर की महिलाओं ने बताया कि आगजनी पुलिस की ओर से की गई है। रिटायर जस्टिस टीपी शर्मा की अध्यक्षता में टीएमटीडी घटना की जांच के लिए गठित एकल सदस्यीय विशेष न्यायिक जांच आयोग ने शुक्रवार को यहां कमिश्नर कार्यालय भवन स्थित आयोग के दफ्तर में सुनवाई रखी थी, जहां बयान दर्ज कराने तिम्मापुर के पीड़ित परिवारों के 32 लोग पहुंचे थे। इनमें से 31 महिला-पुरूषों ने बयान दर्ज कराया।
उल्लेखनीय है कि आयोग ने शुक्रवार और शनिवार दो दिन की सुनवाई रखी थी। सुनवाई में बयान दर्ज कराने ताड़मेटला के 20 और तिम्मापुर के 32 लोगों को बुलाया गया था। ताड़मेटला के लोगों को शुक्रवार को बयान दर्ज कराना था लेकिन वहां से एक भी गवाह नहीं पहुंचा।गांव के पटवारी ने आयोग को सूचना देकर बताया कि ताड़मेटला के गवाहों ने आने से मना कर दिया है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए नईदुनिया गवाहों की पहचान उजागर नहीं कर रहा है। उल्लेखनीय है कि आयोग अभी तक 276 गवाहों का बयान दर्ज कर चुका है। पहली बार आगजनी से पहले पुलिस-नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की बात गवाहों की ओर से सामने आई है। पुलिस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शुक्ला और सरकारी अधिवक्ता दिनेश पानीग्राही ने गवाहों के कथन का प्रति परीक्षण किया। अधिवक्ताओं की ओर से कई सवाल दागे गए जिनका जवाब गवाहों ने दिया। गवाहों का कहना था कि घटना सुबह हुई थी जो भयावह थी।