फोर्स की गोली से जवान बेटे की मौत को देखने के बाद एक आदिवासी बुजुर्ग पिता अपने दो अन्य बेटों को खोना नहीं चाहता। साथ ही, अब गांव में फोर्स को पाकर उसे नक्सलियों के खिलाफ लड़ने की ताकत भी मिल गई है। चिकपाल में सीएएफ के नए कैंप खुलने और नक्सली लीडर मिड़कोम के समर्पण के बाद 24 जन मिलिशिया ने समर्पण किया।इनमें स्कूलपारा चिकपाल के दो सगे भाई गागरू और बामन भी हैं जिन्हें उनके पिता गंगो मरकाम लेकर कैंप पहुंचे थे। उसने अधिकारियों से कहा कि नक्सलियों के कारण मैंने अपना एक जवान बेटा खोया है। तब नक्सलियों के खिलाफ पूरी ताकत से खड़े होने की हिम्मत नहीं थी।
आज फोर्स गांव में आ गई और अब अपने बचे दो बेटों को नक्सलियों को ले जाने नहीं दूंगा इसलिए मैं खुद इन्हें समर्पण के लिए लेकर आया हूं। मेरे बेटे को नक्सलियों ने ही मारा है। अधिकारियों ने गंगो मरकाम को प्रोत्साहन स्वरूप दस हजार रूपये का चेक सौंपा और उनकी सुरक्षा व दीगर सुविधा का आश्वासन दिया। बुजुर्ग ने कहा कि गांव में नक्सलियों की हुकूमत थी तो उन्हें जान का डर रहता था इसलिए नक्सलियों की बात मानते थे। अब शासन के साथ रहकर बच्चों को पढ़ाएंगे और विकास कार्य करेंगे।
मारजूम, चिकपाल, जंगमपाल जैसे इलाके से पहली बार इतनी बड़ी संख्या में समर्पण हुआ है। सुरनार गायता पारा का रहने वाला कमांडर राजू मिडकोम के समर्पण के बाद कटेकल्याण एरिया कमेटी टूट गई है। राजू मिडकोम के साथी नक्सली और उसने जो नक्सली भर्ती कराए थे, वे सारे मुख्य धारा में लौट आए हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि चिकपाल में कैंप स्थापित होने से गांव के लोगों में सुरक्षा का भाव पैदा हुआ है।