Home शिक्षा शालेय स्वच्छता के लिए शिक्षक और विद्यार्थियों को मिलकर कार्य करना होगा....

शालेय स्वच्छता के लिए शिक्षक और विद्यार्थियों को मिलकर कार्य करना होगा. कमिश्नर श्री बहुगुणा ।।

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शिवांक साहू।।

नरसिंहपुर,कमिश्नर जबलपुर संभाग श्री राजेश बहुगुणा की अध्यक्षता में ‘शालेय स्वच्छता. समस्या एवं समाधान’ विषय पर पीजी कॉलेज नरसिंहपुर के ऑडिटोरियम में मीडिया और अधिकारियों की एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में शालेय स्वच्छता से जुड़ी समस्यायें एवं उनके समाधान के बारे में अधिकारियों व मीडिया प्रतिनिधियों से सीधे संवाद किया गया।

कार्यशाला में कलेक्टर श्री दीपक सक्सेना, संयुक्त आयुक्तप जबलपुर श्री अरविंद यादव, सीईओ जिला पंचायत केके भार्गव, संयुक्तल संचालक लोक शिक्षण श्री राजेश तिवारी, अनुविभागीय राजस्व अधिकारी श्री महेश कुमार बमनहा व श्री राजेश शाह, जिला शिक्षा अधिकारी श्री अरूण कुमार इंगले, डीपीसी श्री एसके कोष्टी, जिला समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन, सभी जनपदों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, विकासखंड शिक्षा अधिकारी, विकासखंड स्रोत समन्वयक, जनशिक्षक, विकासखंड समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन और मीडिया प्रतिनिधि मौजूद थे।

कमिश्नछर श्री बहुगुणा ने कहा कि शालेय स्वच्छता के लिए अब स्कूल के शिक्षकों और विद्यार्थियों को मिलकर कार्य करना होगा। शाला भवन और शौचालय की साफ. सफाई की जिम्मे्दारी अब स्कूल के प्राचार्य प्रधान पाठक, शिक्षक और विद्यार्थियों को मिलकर लेनी होगी। इसके लिए टीम वर्क से काम करना होगा। साफ-सफाई का काम केवल स्वीपर का है, इस सोच को बदलना होगा। यह सोच समानता की ओर तेजी से बढ़ रहे समाज और बदलते समय को देखते हुए उचित नहीं है। शिक्षक जब तक स्कूल और विद्यार्थियों के साथ जुड़ाव महसूस नहीं करेंगे, तब तक परिवर्तन संभव नहीं है। बदलाव के लिए स्कूल एवं विद्यार्थियों के प्रति अपनत्व की भावना जरूरी है। परिवर्तन आपको ही करना होगा, कोई बाहरी व्यक्ति या एजेंसी यह बदलाव नहीं ला सकती। निर्देशों से स्वच्छता का कार्य नहीं हो सकता, इसके लिए स्वयं जुटना होगा। शिक्षक अपने स्कूल को अपना मानेंगे, तो बदलाव शुरू होगा। बच्चों में आत्मविश्वाकस विकसित करना होगा। शिक्षकों के ऊपर दूसरे सभी लोगों से अधिक जिम्मेदारी है।

कमिश्नधर श्री बहुगुणा ने कहा कि शिक्षक अच्छी शिक्षा देकर पूरी की पूरी पीढ़ी को बेहतर बना सकते हैं। शिक्षक का पहला ध्येय यह होना चाहिये कि कक्षा का प्रत्येक बच्चा सभी विषयों में निर्धारित न्यूनतम योग्यता हासिल करे और कक्षा का परीक्षा परिणाम शतप्रतिशत रहे। हर बच्चे पर उतना ध्यान दिया जावे, जितना उसके लिए जरूरी है। स्कूल केवल किताबी शिक्षा का केन्द्र नहीं है, बल्कि स्कूल जिम्मेदार नागरिक बनाने का केन्द्र है। बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाने की जिम्मेदारी शिक्षक की है। उन्होंने कहा कि शालेय स्वच्छता सुनिश्चित करने में मीडिया की अहम भूमिका है।

     
    
   

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