शिवांक साहू।।
कहीं वितरित ही नही हो रहा अनाज,तो कहीं मिल रहा कीड़े वाला चावल,मध्याह्न भोजन के भी बुरे हाल।
नरसिंहपुर. पिछले कुछ दिनों से जबसे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच एवं खाद्य सुरक्षा हेतु हर संभव प्रयास करने के आदेश दिए हैं तब से नरसिंहपुर जिला प्रशासन द्वारा लगातार विभिन्न प्रतिष्ठानों पर छापेमार कार्यवाही कर मिलावटखोरों में प्रशासन का डर बनाने वाली कार्यवाहियां की जा रही हैं,जो कि प्रदेश सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन का उपयुक्त कदम है।
लेकिन ऐंसा नही है कि यह मिलावटखोरी या कालाबाजारी हाल, फिलहाल में शुरू हुई है,और ऐसा भी नही है कि इसके खिलाफ आवाज न उठाई गई हो,दूषित खाद्य सामग्री की सैंकड़ो शिकायतों से सरकारी दफ्तर भरे पड़े होंगे, चूंकि राजधानी के दरबारों से अब तक जिला प्रशासन को फरमान जो नही मिला था,फिर कार्यवाहियां कैंसे होतीं….
बहरहाल जिले के अनेक प्रतिष्ठानों पर छापे एवं कार्यवाही जारी हैं,जबकि जिला प्रशासन के भीतर ही गुणवत्ताहीन खाद्य सामग्री का भंडार प्राप्त हो सकता है,और खुलेआम जिसका कारोबार लंबे समय से जारी है,पिछले कई महीनों से विभिन्न ग्रामो की सहकारी समितियों के गुणवत्ताहीन चावल वितरित किये जाने की खबरें प्रकाश में आई थीं, जिसके बाद जांच के नाम पर महज चावल का सेम्पिल लेकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया,और न ही किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय कर उस पर कार्यवाही की गई और न ही घटिया किस्म के चावल सप्लाई करने वाले किसी ठेकेदार का लाइसेंस निरस्त किया गया,फिर आखिर ऐंसी जांच का क्या फायदा जो कभी किसी नतीजे पर न पहुंचे, और ऐंसे प्रशासन का भी क्या फायदा जो दोषियों पर कार्यवाही करने की बजाह फाइल बनाकर ठंडे बस्ते में डाल दे,इस प्रकार ले मामलों में जांच के बाद क्या होता है आखिर कार्यवाहियां क्यों नही की जातीं, क्या वजह है कि सरेआम दिखाई देने बाला भृष्टाचार दिखकर भी प्रशासन को दिखाई नही देता,इसके अलावा मध्याह्न भोजन व्यवस्था में भी जांच एवं सुधार की आवश्यकता है,मध्याह्न भोजन से संबंधित अनियमितताओं एवं गुणवत्ताविहीन भोजन वितरण की खबरें भी लगातार प्रकाश में लाई जाती हैं,लेकिन व्यवस्था में सुधार नही हो पा रहा है,खाद्य सुरक्षा अभियान एक सराहनीय एवं जनहितकारी पहल है,लेकिन बाहर के मिलावटखोरों से निपटने के साथ साथ प्रशासन को अपने घर मे सफाई करने की आवश्यकता है|