इसी प्रकार बैकुण्ठपुर बाईसागर तालाब व निस्तार की भूमि को लेकर बैकुण्ठपुर प्रशासन ने अनावेदक का सम्पूर्ण सहयोग किया। आवेदक ने कोरिया कलेक्टर एवं एसडीएम तक को लिखा-पढ़ी किया। जानकार सूत्र बताते है कि, उसके उपरांत भी दबाव में पैसे के बल पर आवेदक को स्टेय नहीं दिया गया। आवेदक ने सरगुजा आयुक्त की शरण में शरणागत हुआ। आयुक्त महोदय जी ने रोकने के लिए कोरिया प्रशासन को निर्देशित भी दिये। उस आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के नियमानुसार निस्तार व तालाब को लेकर आदेशित भी किया गया था, परंतु कोरिया प्रशासन स्टेय तो दिया, पर आवेदक का न सुनकर तहसीलदार, नायब तहसीलदार, आर.आई. और अनावेदक द्वारा आवेदक के न उपस्थित होने पर उसमें उल्लेख किया गया कि, आवेदक को मोबाईल पर सूचना दिया गया था। क्या नियम इस प्रकार है कि, आवेदक के न मौजूदगी में तहसीलदार अनावेदक के दबाव में कोई किसी प्रकार का पंचनामा बना सकता है ? पर बैकुण्ठपुर की सभी आमजनता जानती है कि, प्रभाकर डबरे से लगभग 30 सालों से जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। उस पंचनामा में गवाह आवेदक के विरूद्ध एक पंचनामा बनाकर प्रस्तुत किया गया। जिस आधार पर एसडीएम महोदया ने स्टेय को खारीज कर दिया। जबकि जो अनावेदक के ऊपर तालाब व निस्तार को लेकर शिकायत किया गया था। पर उसमें तालाब व निस्तार को एसडीएम व तहसीलदार ने कोई रूची नहीं लिया। प्रशासन द्वारा तालाब व निस्तार की भूमि को संज्ञान में नहीं लिया जा रहा है। जानकार सूत्र बताते है कि, अपने पद का पूरा-पूरा दूरूपयोग किया जा रहा है। इस संबंध में दिनांक 06-03-2025 को कोरिया कलेक्टर महोदया जी के समक्ष भी आवेदक ने अपना विचार रखा था, पर कोरिया कलेक्टर द्वारा आवेदक को घुमा दिया गया। आज भी तालाब व निस्तार की भूमि में बहुत तेजी से निर्माण अनावेदक कर रहा है। क्योंकि अनावेदक पैसे व राजनितिक के बल पर कोरिया प्रशासन पर हावी है। और आवेदक को कोरिया प्रशासन ने त्रस्त कर दिया है।
कोरिया/बैकुण्ठपुर : राजस्व विभाग राजनितिक दबाव और पैसे के बल पर कर रहा पूरा कार्यकाल, सरगुजा संभाग आयुक्त के आदेशों का भी किया अवहेना ?………….
बैकुण्ठपुर मुख्यालय के राजस्व विभाग में नया-नया करिश्मा देखने व सुनने को मिल रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक मामला बैकुण्ठपुर का प्रकाश में आया है जो कि, मकान को लेकर जिस परिवार ने अपने मकान का निर्माण किया है उस मकान निर्माणकर्ता को बैकुण्ठपुर में नहीं देखे होंगे, पर उस व्यक्ति ने अपने परिवार के लगभग चार लड़कों का अपने जीते-जागते बटवारा कर दिया। जिसका एक पुत्र बाहर रहता है उस व्यक्ति ने अपना हिस्सा छोड़ दिया है, जिस व्यक्ति ने मकान का निर्माण किया उनके पिता जी के तीन भाई थे। आज देखने को मिल रहा है कि, राजस्व विभाग में इस बात का ध्यान नहीं दिया गया कि, बाबा की जमीन में पोता का भी हिस्सा होता है, न कि बड़े पिता जी के जमीन में हिस्सेदार होती है। पर जानकार सूत्र बता रहे है कि, राजस्व विभाग ने उस आवेदक के आवेदन को कैसे स्वीकार कर लिया ?